सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 27 फरवरी को सुनवाई करते हुए कहा कि पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) ने दवाओं को लेकर विज्ञापनों में 21 नवंबर, 2023 को जो हलफनामा सौंपा था, उसमें पहली ही नजर में (Prima Facie) उल्लंघन देखने को मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण को इस संबंध में नोटिस जारी किया और पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसके अगले आदेश तक पतंजलि आयुर्वेद अपने किसी भी मेडिकल प्रोडक्ट का विज्ञापन न करे। साथ ही साथ टॉप कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को किसी भी मेडिकल प्रैक्टिस के प्रतिकूल मीडिया में कोई भी बयान देने के लिए भी निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ (Allopathy vs Ayurveda) की बहस नहीं बनाना चाहती जबकि, भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का सही समाधान ढूढ़ना चाहती है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोशिएसन (IMA) की याचिका पर आज टॉप कोर्ट सुनवाई कर रहा था। IMA ने पतंजलि आयुर्वेद पर आरोप लगाए 2022 में आरोप लगाए थे कि रामदेव की कंपनी एलोपैथी (Allopathy) मेडिकल प्रैक्टिस के खिलाफ गलत सूचना फैला रही थी।
IMA की तरफ से वकालत कर रहे सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया (PS Patwalia) ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने योग की मदद से मधुमेह (diabetes) और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को करेगा।
मामले की सुनवाई करने के लिए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह खुद न्यूजपेपर लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। न्यूजपेपर पर विज्ञापन दिखाते हुए उन्होंने पतंजलि आर्युवेद से कहा कि आखिर आपमें कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन लाने का साहस कैसे हुआ।
सुनवाई को दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा ने पतंजलि आयुर्वेद से सवाल किया कि आप कैसे कह सकते हैं कि आप बीमारी को ठीक कर देंगे? हमारी चेतावनी के बावजूद आप कह रहे हैं कि हमारी चीजें केमिकल आधारित दवाओं से बेहतर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने IMA vs Patanjali Ayurveda के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को भी घेरा और कहा कि पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है और सरकार आंख बंद किए बैठी है। उन्होंने केंद्र सरकार को ऐसे मामलों पर एक्शन लेने के लिए कहा।
जब कोविड-19 महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया में फैल रहा था, तब बाबा रामदेव ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की उपस्थिति में इस बात का दावा किया था कि उनकी कंपनी की तरफ से बनाई गई दवा कोरोनिल (coronil), स्वासारी औऱ अणु तेल के सेवन से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस किट की कीमत करीब 500 रुपये तय की गई थी।
हालांकि बाद में काफी सवाल खड़े हुए और आयुष मंत्रालय ने पाया कि ऐसे दावे सही नहीं हैं और फटकार लगाते हुए इस तरह से प्रमोशन करने से रोक लगाया।
बता दें कि बाबा रामदेव की दवा बनाने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड आयुर्वेदिक दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री करती है। इसकी ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी क्वालिटी की निगरानी के लिए कंपनी ने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट (Divya Yog Mandir Trust ) और अपने खेतों में जड़ी-बूटियाँ उगाने के लिए पतंजलि योग पीठ (Patanjali Yog Peeth ) भी चलाती है।