अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की दो कंपनियां उड़ीसा में एक कोयला परियोजना को लेकर आपस में भिड़ गई हैं।
इन दोनों कंपनियों ने कोयला मंत्रालय की इस परियोजना को हथियाने के लिए दो अमेरिकी कंपनियों से हाथ मिलाया है। समूह की दो कंपनियां रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आर-इन्फ्रा) और रिलायंस पावर (आर-पावर) उड़ीसा में कोयला से तरल ईंधन तैयार करने वाली अपने तरह की पहली परियोजना के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।
इस प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक जहां आर-पावर ने अपने तीनों कोयला ब्लॉकों के लिए भागीदार सिंट्रोलियम कॉरपोरेशन के साथ मिल कर इस परियोजना के लिए प्रस्ताव भेजा है वहीं आर-इन्फ्रा ने इसके लिए रेनटेक इंक के साथ गठजोड़ किया है। इसके अलावा आर-इन्फ्रा और आर-पावर दोनों ने गैसीफिकेशन टेक्नोलॉजी के लिए जर्मन फर्म सीमेंस के साथ करार किया है।
इन कंपनियों के प्रवक्ता ने बताया, ‘इस परियोजना की होड़ में शामिल आर-पावर और आर-इन्फ्रा दोनों अलग-अलग कंपनियां हैं और किसी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में भाग लेने में कोई नुकसान नहीं है।’ जब प्रवक्ता से यह पूछा गया कि दोनों कंपनियों की तेल उत्पादन क्षेत्र में दस्तक से अंबानी बंधुओं के बीच हुए समझौते का उल्लंघन होगा तो उन्होंने बताया, ‘यह उस समझौते के दायरे में नहीं आता है जिस पर कुछ साल पहले हस्ताक्षर किए गए थे। कोयला से तरल ईंधन का व्यवसाय भारत में एक नई अवधारणा है और ऐसा व्यवसाय फिलहाल चलन में नहीं हैं।’
इस परियोजना के लिए कम से कम 4,000 करोड़ रुपये की बोली और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ सहयोग होना जरूरी है। इसके अलावा ब्लॉक को हासिल करने के तीन महीने के अंदर प्रति ब्लॉक 300 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जरूरी होगी। प्रवक्ता ने कहा, ‘आर-इन्फ्रा और आर-पावर दोनों ने फिशर ट्रॉप्स के प्रमुख प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ करार किया है। दोनों कंपनियां गैसीफिकेशन टेक्नोलॉजी के लिए सीमेंस की दक्षता का इस्तेमाल कर रही हैं।’
इस कोयला परियोजना के लिए रेनटेक का अनुमानित निवेश 43,000 करोड़ रुपये है वहीं 80,000 बैरल प्रति दिन की क्षमता वाले संयंत्र के लिए आर-पावर की भागीदार सिंट्रोलियम का अनुमानित निवेश 36,980 करोड़ रुपये है। कोयला मंत्रालय ने कोयला से तरल ईंधन के उद्देश्य से उड़ीसा में तलचर कोलफील्ड में तीन कोल ब्लॉकों के लिए निविदाएं आमंत्रित की थीं। इस परियोजना के तहत कोयला को केरोसिन, नाफ्था, डीजल और पेट्रोल जैसे अन्य ईंधनों में तब्दील किया जाना है।
अधिकारियों के मुताबिक इस परियोजना के लिए तकरीबन 21 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसके लिए बोली प्रक्रिया की अंतिम तारीख 21 जुलाई थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा समूह, जीएमआर, इंडियाबुल्स, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट, जेएसडब्ल्यू गु्रप और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन जैसी विद्युत एवं तेल कंपनियां इस परियोजना की दौड़ में शामिल हैं।