वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट्स (एसबीआई कार्ड) के नतीजे कमजोर रहने की वजह से कई विश्लेषकों ने इस क्रेडिट कार्ड कंपनी के शेयर की रेटिंग घटा दी है।
विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी ने लगातार आठवीं तिमाही कमजोर वित्तीय परिणाम दर्ज किया है। उन्होंने कंपनी के विकास परिदृश्य से जुड़ी अल्पावधि चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-26 के लिए अपने आय अनुमान 20 प्रतिशत तक घटाए हैं।
एमके ग्लोबल के विश्लेषकों ने कहा है, ‘एसबीआई कार्ड फिर से आय के मोर्चे पर विफल रही और ऊंचे ऋण प्रावधान खर्च की वजह से उसका शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले महज 8 प्रतिशत बढ़कर 549 करोड़ रुपये तथा परिसंपत्ति पर प्रतिफल (आरओई) 4.1 प्रतिशत रहा। सुस्त वृद्धि और ऊंचे प्रावधान खर्च की वजह से हमने वित्त वर्ष 2026 तक अपने आय अनुमान 20 प्रतिशत तक घटा दिए हैं।’
ब्रोकरेज ने शेयर की रेटिंग ‘खरीदें’ से बदलकर ‘घटाएं’ कर दी है और कीमत लक्ष्य भी 865 रुपये से घटाकर 725 रुपये कर दिया है। कंपनी का शेयर सोमवार को दिन के कारोबार में 6.5 प्रतिशत तक गिरकर 710 रुपये पर आ गया था और आखिर में यह 5.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 715.6 रुपये पर बंद हुआ।
दिसंबर तिमाही में एसबीआई कार्ड के पीएटी में तिमाही आधार पर 9 प्रतिशत की कमी आई, क्योंकि फंसे कर्ज के लिए प्रावधान खर्च 66 प्रतिशत बढ़कर 883 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। मार्जिन तिमाही आधार पर 11.3 प्रतिशत के साथ सपाट रहा, क्योंकि कोषों की लागत (सीओएफ) तीन महीने पहले के मुकाबले 50 आधार अंक बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई।
कंपनी प्रबंधन ने अनुमान जताया है कि सीओएफ वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही तक ऊंची बनी रहेगी।
समीक्षाधीन तिमाही के दौरान सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) बढ़कर 2.64 प्रतिशत हो गईं, जबकि वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में ये 2.22 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 2.43 प्रतिशत थीं।
शुद्ध एनपीए भी सालाना आधार पर 0.80 प्रतिशत से बढ़कर 0.96 प्रतिशत हो गईं। प्रबंधन का मानना है कि परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव बढ़ने की आशंका है।
इस वजह से विश्लेषकों ने चेताया है कि फंसे कर्ज में इजाफा बरकरार रह सकता है, क्योंकि मल्टी-कार्ड और लोअर-बकेट कस्टमर पोर्टफोलियो पर दबाव देखा जा सकता है। तीसरी तिमाही में नए कार्ड जारी करने की रफ्तार धीमी रही। दिसंबर तिमाही में नए कार्ड की संख्या सुस्त पड़कर 11 लाख रह गई जो पिछले साल 16 लाख थी।