मूल्यवर्धित उत्पादों को आगे बढ़ाने पर ध्यान देते हुए आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) ने आर्सेलरमित्तल के पोर्टफोलियो के लिए एक वैश्विक उत्पाद मैग्नेलिस की उत्पादन लाइन तैयार करने में करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उत्पादन लाइन की क्षमता सालाना 5 लाख टन की है और इसे गुजरात के हजीरा में एएम/एनएस इंडिया के संयंत्र में लगाया गया है।
स्टील के वैश्विक विनिर्माताओं आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील के संयुक्त उद्यम के मुताबिक मैग्नेलिस क्षरण प्रतिरोधी है और खुद से ठीक हो सकता है। इस गुण के कारण ही यह सौर परियोजनाओं के लिए आदर्श बन जाता है। इसके साथ ही एएम/एनएस को सौर परियोजनाओं को स्टील आपूर्ति के लिए देसी बाजार में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी हासिल करने की उम्मीद है।
एएम/एनएस इंडिया ने कहा कि वह अदाणी ग्रीन एनर्जी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एनटीपीसी सहित भारत के अक्षय ऊर्जा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों को भी मैग्नेलिस की आपूर्ति करने पर बातचीत कर रही है। पहले, यह उच्चस्तरीय मूल्यवर्धित स्टील मुख्य तौर पर कोरिया, जापान और चीन से आयात किया जाता था और इसकी डिलिवरी में अक्सर कई महीने लग जाते थे।
सौर परियोजनाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में सड़क बुनियादी ढांचा (क्रैश बैरियर), कृषि बुनियादी ढांचा (अनाज साइलो, कृषि उपकरण) और निर्माण (भवन संरचनाएं) शामिल हैं। प्रमुख देसी स्टील कंपनियों के लिए मूल्यवर्धित उत्पादों पर ध्यान देना शीर्ष प्राथमिकता में शामिल रहा है। एएम/एनएस इंडिया के निदेशक और सेल्स ऐंड मार्केटिंग के उपाध्यक्ष रंजन धर ने कहा कि संयुक्त उद्यम का करीब 60 से 65 फीसदी पोर्टफोलियो मूल्यवर्धित उत्पादों पर केंद्रित था। भले ही आज हम विस्तार कर रहे हैं मगर हिस्सेदारी उतनी ही रहेगी।
एएम/एनएस इंडिया 9 एमटी से 15 एमटी क्षमता विस्तार में 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। यह विस्तार साल 2026 की शुरुआत तक पूरा होने की उम्मीद है। मूल्यवर्धित उत्पादों के मोर्चे पर एएम/एनएस इंडिया अगले साल हजीरा में 2 एमटी ऑटो फोकस्ड कोल्ड रोलिंग मिल भी पेश करने जा रही है।
धर ने कहा कि मूल्यवर्धित उत्पादों पर ध्यान सिर्फ मार्जिन के आधार पर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम उच्चस्तरीय उत्पाद लाना चाहते हैं क्योंकि भारत में मांग की स्थिति तेजी से बदल रही है, चाहे वह वाहन हो अथवा व्हाइट गुड्स। हमें ऐसे स्टील उत्पादों की जरूरत है जो दुनिया भर में मानक हों।’