मारुति सुजूकी इंडिया (MSI) के कार्यकारी अधिकारी (कॉर्पोरेट मामले) राहुल भारती का कहना है कि भारत को हाइब्रिड कारों (Hybrid Cars) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) दोनों को ही प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि साल 2070 तक देश के कार्बन तटस्थता के लक्ष्य की बात करें, तो ये दोनों एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं।
भारत साल 2070 तक कार्बन तटस्थता (Carbon neutrality) हासिल करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन वाहन विनिर्माता इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि इसका सबसे अच्छा रास्ता क्या हो सकता है। जापान की मारुति सुजूकी (Maruti Suzuki) और टोयोटा (Toyota) जैसी दिग्गज कंपनियां हाइब्रिड पर कर कटौती के लिए काफी जोर दे रही हैं।
उनका तर्क है कि अकेले ईवी ही उत्सर्जन में कमी का बोझ नहीं उठा सकते। लेकिन टाटा मोटर्स और किया जैसी कार निर्माता ऐसी किसी भी कर कटौती का विरोध कर रही हैं।
उनका कहना है कि केवल पूरी ताकत से ईवी अभियान ही भारत की सड़कों को सही मायने में कार्बन मुक्त कर सकता है। केंद्र सरकार जापानी कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
भारती ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कर के मामले में सरकार बेहतर तरीके से विचार कर सकती है, लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि हम बाजार में कुछ गलत तुलनाएं देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह ‘बहस’ ईवी और मजबूत हाइब्रिड के बीच नहीं है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी के मामले में ये दोनों ही बेहतर तकनीक हैं।
उन्होंने कहा कि इन दोनों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। बहस दमदार हाइब्रिड और तेल-गैस इंजन वाली कारों के बीच है। मैं ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकता और कोई भी इस बात को उचित नहीं ठहरा सकता कि किसी दमदार हाइब्रिड कार की तुलना में तेल-गैस इंजन वाली कार को क्यों प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
साल 2023-24 की दूसरी छमाही के दौरान भारत में हाइब्रिड कारों की बिक्री 52,500 रही, जो 48,000 इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री से अधिक थी।
वर्तमान में भारत में हाइब्रिड कारों पर 28 प्रतिशत की ऊंची दर पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगता है। इसके ऊपर विभिन्न मॉडलों पर लगने वाले अलग-अलग उपकर को शामिल कर दें तो यह 43 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। इसके विपरीत इलेक्ट्रिक कारों पर काफी कम कर यानी 5 फीसदी जीएसटी लगता है।