विमानन ईंधन (एटीएफ) की कीमत में जबरदस्त इजाफा होने से विमानन कंपनियां भी बेजार हैं। कंपनियों ने इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सामने गुहार करने का फैसला किया है।
इसके अलावा वे देश में अपनी कुल उड्डयन क्षमता में 20 फीसद कटौती करने की भी योजना बना रही हैं। सभी विमानन कंपनियों और एयरपोर्ट अधिकारिरयों के साथ मंत्रालय की आज की बैठक के बाद एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह व्यावसायिक फैसला है, जो सभी विमानन कंपनियों को निजी स्तर पर लेना है, लेकिन आंकड़ा एकदम सही है।
पिछले एक साल में क्षमता में तकरीबन 17 फीसद इजाफा हुआ है, लेकिन यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी बहुत कम रही है। ईंधन की कीमतें बढ़ने से भी कंपनियों को झटका लगा है, इसलिए क्षमता में 20 फीसद की कटौती तो हो ही सकती है।’ इस बैठक की अध्यक्षता नागरिक उड्डयन सचिव अशोक चावला ने की थी।
स्पाइसजेट जैसी कंपनियों ने पहले से ही छोटे मार्गों पर तकरीबन 15-16 उड़ानें कम कर दी हैं और जल्द ही वह कुछ और उड़ानों में कटौती करने जा रही है। जेट एयरवेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि देश के कुछ क्षेत्रों में परिचालन कम करने पर कंपनियां जल्द ही फैसला करने जा रही हैं।
अलबत्ता मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रालय ने इसके बदले कंपनियों से साफ तौर पर कहा है कि पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों में अगर लोड फैक्टर 10-15 फीसद से कम है, तो कंपनियां उड़ान कम करने के लिए स्वतंत्र हैं, बशर्ते उससे रूट डिसपर्सल के दिशानिर्देशों का उल्लंघन न हो रहा हो।’
मौजूदा दिशानिर्देशों के मुताबिक किसी भी विमानन कंपनी को अपनी कुल क्षमता का एक निश्चित हिस्सा पूर्वोत्तर जैसे रूट्स पर लगाना होता है, जहां मुनाफा होने की कोई गुंजाइश नहीं होती।