facebookmetapixel
8 साल में सबसे बेहतर स्थिति में ऐक्टिव ईएम फंड, 2025 में अब तक दिया करीब 26% रिटर्नडिजिटल युग में श्रम सुधार: सरकार की नई श्रम शक्ति नीति में एआई और कौशल पर जोरस्वदेशी की अब खत्म हो गई है मियाद: भारतीय व्यवसायों को प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा, वरना असफल होना तयकिसी देश में आ​र्थिक वृद्धि का क्या है रास्ता: नोबेल विजेताओं ने व्यवहारिक सोच और प्रगति की संस्कृति पर दिया जोरनिवेश के लिहाज से कौन-सा देश सबसे सुरक्षित है?म्युचुअल फंड उद्योग ने SEBI से नियमों में ढील की मांग की, AMCs को वैश्विक विस्तार और नए बिजनेस में एंट्री के लिए चाहिए छूटRBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा! SME IPOs में खतरे की घंटीRBI Gold Reserves: रिजर्व बैंक के पास 880 टन से ज्यादा सोना, वैल्यू 95 अरब डॉलरInfosys के प्रमोटर्स ने ₹18,000 करोड़ के शेयर बायबैक से खुद को अलग कियासितंबर में Debt MF से निवेशकों ने क्यों निकाले ₹1.02 लाख करोड़? AUM 5% घटा

डायरेक्टर्स पर अमेरिका के FCPA के उल्लंघन का नहीं है कोई आरोप: Adani Group

अदाणी समूह ने बयान में कहा कि देश की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनी का दुनिया भर में ऊर्जा और लॉजिस्टिक क्षेत्र में अच्छा खासा दखल है।

Last Updated- November 27, 2024 | 10:14 PM IST
Adani Energy

अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) के चेयरमैन गौतम अदाणी, कार्यकारी निदेशक सागर अदाणी और एमडी व सीईओ विनीत जैन पर अमेरिका के न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा दायर सिविल मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। अदाणी ग्रीन एनर्जी ने आज स्टॉक एक्सचेंजों को एक बयान में इसकी जानकारी दी।

अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा दायर मामले में 5 आरोप लगाए हैं मगर इसमें अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और विनीत जैन का एफसीपीए का उल्लंघन की साजिश से संबंधित किसी भी मामले में उल्लेख नहीं किया गया है और न ही न्याय में बाधा डालने की साजिश के आरोप में इन 3 नामों का उल्लेख है।

कंपनी ने कहा कि इन निदेशकों पर केवल प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। कंपनी के बयान का असर अदाणी समूह के शेयरों पर भी दिखा और सभी में तेजी आई। इससे समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 1.22 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया।

अदाणी समूह को वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी का भी समर्थन मिला। पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने न्याय विभाग और एसईसी द्वारा लगाए गए आरोपों में खामियों की ओर इशारा किया। रोहतगी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अभियोग में लगाया गया पहला और पांचवां आरोप अन्य से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं मगर कोई भी आरोप अदाणी या उनके भतीजे सागर के खिलाफ नहीं है। पहला आरोप अन्य लोगों पर है जिसमें अदाणी के नाम नहीं हैं।’

रोहतगी ने कहा, ‘आपको स्पष्ट तौर पर यह बताना होता है कि फलां-फलां ने ऐसे कृत्य किए और कुछ व्यक्तियों को रिश्वत दी। इस आरोप पत्र में कहा गया है कि अदाणी ने बिजली खरीद के संबंध में भारतीय इकाइयों को रिश्वत दी लेकिन इसमें एक भी नाम या विवरण नहीं है कि किसने या कैसे रिश्वत दी।
जेठमलानी ने कहा कि अमेरिका में अदाणी के खिलाफ मुकदमा दावों पर आधारित है और कोई स्थापित तथ्य नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘भारत में रिश्वत देने का कोई आरोप नहीं है, केवल रिश्वत देने की साजिश का काल्पनिक आरोप है। यह मामला अदाणी ग्रीन एनर्जी द्वारा बॉन्ड जारी करने के इर्द-गिर्द है, जहां न्याय विभाग ने बिना किसी सबूत के यह निष्कर्ष निकाला है कि बॉन्डधारकों को संभावित उल्लंघनों के बारे में जानकारी नहीं थी। यह पूरी तरह राजनीतिक मामला है, जिसे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने टूल के तौर पर इस्तेमाल किया है और ये बार-बार विदेशी हस्तक्षेप से प्रभावित मुद्दों को हवा देते हैं।’

अदाणी समूह ने विस्तृत बयान में कहा है कि अभियोग में लगाया गया पहला आरोप भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का है, जिसमें एज्योर पावर तथा सीडीपीक्यू के रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा के नाम शामिल हैं। बयान में कहा गया है, ‘इसमें अदाणी के किसी अधिकारी का नाम नहीं है। हालांकि विभिन्न मीडिया (विदेशी और साथ ही भारतीय) द्वारा अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग की त्रुटिपूर्ण समझ के कारण अदाणी के निदेशकों पर सभी पांच मामलों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने की गलत और लापरवाह रिपोर्टिंग की गई है।’

बयान के अनुसार, ‘अभियोग में इसका कोई सबूत नहीं है कि अदाणी के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी गई। अभियोग और शिकायत पूरी तरह से उन दावों पर आधारित है कि रिश्वत का वादा किया गया था या उस पर बातचीत की गई थी। यह सब एज्योर पावर और सीडीपीक्यू के पूर्व कर्मचारियों की संभावनाओं और अफवाहों पर आधारित है।

बयान में कहा गया है, ‘गलत मंशा पर आधारित अमेरिकी कार्रवाई और लापरवाह रिपोर्टिंग के कारण भारत के कारोबारी समूह पर व्यापक असर पड़ा है।’

अदाणी समूह ने बयान में कहा कि देश की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनी का दुनिया भर में ऊर्जा और लॉजिस्टिक क्षेत्र में अच्छा खासा दखल है। हालिया घटनाक्रम से समूह के बाजार पूंजीकरण में कीब 55 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

First Published - November 27, 2024 | 10:06 PM IST

संबंधित पोस्ट