तेल वर्ष 2025-26 (नवंबर से अक्टूबर) में वनस्पति तेल आयात की शुरुआत सुस्त रही। इस तेल वर्ष के पहले महीने के दौरान वनस्पति तेल आयात में गिरावट दर्ज की गई है। नवंबर महीने में सालाना और मासिक दोनों आधार पर वनस्पति तेल का आयात घटा है। इसकी अहम वजह आरबीडी पामोलीन के आयात में भारी गिरावट आना है। पिछले तेल वर्ष के दौरान सोया तेल के आयात में बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन इस तेल के पहले महीने में इसके आयात में भी गिरावट आई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक तेल वर्ष 2025-26 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले महीने यानी नवंबर में 11.83 लाख टन वनस्पति तेलों (11.50 लाख टन खाद्य तेल और करीब 33 हजार टन गैर खाद्य तेल) का आयात हुआ है, जो पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 16.50 लाख टन वनस्पति तेलों (16.13 खाद्य तेल और 37 हजार टन गैर खाद्य तेल) के आयात से 28 फीसदी कम है।
मासिक आधार पर भी वनस्पति तेलों के आयात में कमी आई है। अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में यह 11 फीसदी घटकर 11.83 लाख टन रह गया। अक्टूबर में यह आंकड़ा 13.32 लाख टन था। नवंबर में रिफाइंड यानी आरबीडी पामोलीन का मामूली आयात हुआ। नवंबर में महज 3,500 टन आरबीडी पामोलीन तेल आयात हुआ, जो पिछले साल नवंबर में आयात हुए 2.85 लाख टन का 15 फीसदी हिस्सा भी नहीं है। कच्चे तेलों का कुल आयात भी पिछले साल नवंबर के 13.05 लाख टन से घटकर 11.47 लाख टन रह गया।
पिछले तेल वर्ष के दौरान कच्चे सोया तेल के आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। आखिरी के महीनों में तो यह तेजी से बढ़ा था। लेकिन चालू तेल के पहले महीने में इसके आयात में भी कमी देखने को मिली। नवंबर में कच्चे सोया तेल का आयात सालाना आधार पर 9 फीसदी गिरकर 3.70 लाख टन रह गया। इसी तरह कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात सालाना आधार पर नवंबर में 58 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ करीब 1.43 लाख टन रह गया। दोनों के आयात में मासिक आधार पर क्रमश: 11 और 45 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
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क्रूड पाम तेल और आरबीडी पामोलीन के बीच आयात शुल्क का अंतर बढ़ने का असर आरबीडी पामोलीन के आयात पर दिखा रहा है। सरकार ने इस साल एक मई से दोनों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी कर दिया था। जिससे जुलाई से आरबीडी पामोलीन के तेल आयात में भारी गिरावट देखी जाने लगी। नवंबर महीने में यह महज 3,500 टन हुआ।
तेल वर्ष 2025-26 (नवंबर से अक्टूबर) में वनस्पति तेल आयात की शुरुआत सुस्त रही। इस तेल वर्ष के पहले महीने के दौरान वनस्पति तेल आयात में गिरावट दर्ज की गई है। नवंबर महीने में सालाना और मासिक दोनों आधार पर वनस्पति तेल का आयात घटा है। इसकी अहम वजह आरबीडी पामोलीन के आयात में भारी गिरावट आना है। पिछले तेल वर्ष के दौरान सोया तेल के आयात में बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन इस तेल के पहले महीने में इसके आयात में भी गिरावट आई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक तेल वर्ष 2025-26 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले महीने यानी नवंबर में 11.83 लाख टन वनस्पति तेलों (11.50 लाख टन खाद्य तेल और करीब 33 हजार टन गैर खाद्य तेल) का आयात हुआ है, जो पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 16.50 लाख टन वनस्पति तेलों (16.13 खाद्य तेल और 37 हजार टन गैर खाद्य तेल) के आयात से 28 फीसदी कम है।
मासिक आधार पर भी वनस्पति तेलों के आयात में कमी आई है। अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में यह 11 फीसदी घटकर 11.83 लाख टन रह गया। अक्टूबर में यह आंकड़ा 13.32 लाख टन था। नवंबर में रिफाइंड यानी आरबीडी पामोलीन का मामूली आयात हुआ। नवंबर में महज 3,500 टन आरबीडी पामोलीन तेल आयात हुआ, जो पिछले साल नवंबर में आयात हुए 2.85 लाख टन का 15 फीसदी हिस्सा भी नहीं है। कच्चे तेलों का कुल आयात भी पिछले साल नवंबर के 13.05 लाख टन से घटकर 11.47 लाख टन रह गया।
पिछले तेल वर्ष के दौरान कच्चे सोया तेल के आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। आखिरी के महीनों में तो यह तेजी से बढ़ा था। लेकिन चालू तेल के पहले महीने में इसके आयात में भी कमी देखने को मिली। नवंबर में कच्चे सोया तेल का आयात सालाना आधार पर 9 फीसदी गिरकर 3.70 लाख टन रह गया।
इसी तरह कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात सालाना आधार पर नवंबर में 58 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ करीब 1.43 लाख टन रह गया। दोनों के आयात में मासिक आधार पर क्रमश: 11 और 45 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
क्रूड पाम तेल और आरबीडी पामोलीन के बीच आयात शुल्क का अंतर बढ़ने का असर आरबीडी पामोलीन के आयात पर दिखा रहा है। सरकार ने इस साल एक मई से दोनों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी कर दिया था। जिससे जुलाई से आरबीडी पामोलीन के तेल आयात में भारी गिरावट देखी जाने लगी। नवंबर महीने में यह महज 3,500 टन हुआ।