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Tomato Price Hike: टमाटर डाल सकता है खुदरा महंगाई दर पर असर

पिछले सप्ताह भारत के बाजार में टमाटर के थोक दाम 150 रुपये प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए। कुछ सप्ताह पहले टमाटर 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा था।

Last Updated- July 07, 2023 | 9:48 PM IST
Tomato Price: General public got relief from tomato inflation, prices fell by 22.4 percent in a month आम जनता को टमाटर की महंगाई से मिली राहत, एक महीने में कीमतों में आई 22.4 प्रतिशत की गिरावट

टमाटर की बढ़ती कीमतें देश की अनुमानित महंगाई दर पर असर डाल सकती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में यह कहा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टमाटर की कीमत का असर प्याज और आलू पर भी होता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर टमाटर के दाम में कोई बदलाव होता है तो प्याज और टमाटर पर भी उसका असर नजर आने लगता है।

अध्ययन में कहा गया है कि टमाटर की कीमत में उतार चढ़ाव अन्य दो सब्जियों पर जाने से संकेत मिलता है कि कुछ हद तक एक दूसरे पर निर्भरता है और इनकी कीमतें एक दूसरे पर असर डालती हैं।

टमाटर के थोक दाम 150 रुपये प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए

भारत के सब्जी बाजार में कीमतों के उतार चढ़ाव का स्वरूप नाम से किए गए अध्ययन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने डीआरजी स्टडी सीरीज के तहत धन मुहैया कराया है। रिजर्व बैंक के आंतरिक और नीतिगत शोध विभाग के तहत डेवलपमेंट रिसर्च ग्रुप (डीआरजी) का गठन किया गया है।

पिछले सप्ताह भारत के बाजार में टमाटर के थोक दाम 150 रुपये प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए। कुछ सप्ताह पहले टमाटर 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा था।

सूचकांक में टमाटर, प्याज और आलू की हिस्सेदारी बहुत मामूली

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में टमाटर, प्याज और आलू की हिस्सेदारी बहुत मामूली है, लेकिन इनमें प्रमुख महंगाई दर पर असर डालने की क्षमता है।

एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘खाद्य बास्केट में इन सब्जियों का उल्लेखनीय अधिभार है। इनकी कीमत में उतार चढ़ाव का प्रमुख महंगाई पर असर होगा।’

जून में आधार के असर के कारण संभवतः इसका असर नहीं दिखेगा, लेकिन आगे चलकर महंगाई दर बढ़ने का जोखिम है, क्योंकि सिर्फ सब्जियां महंगी नहीं हुई हैं, बल्कि मोटे अनाज और दूध के दाम भी बढ़े हैं। गुप्ता ने कहा कि आंकड़े खाद्य महंगाई की गंभीरता पर निर्भर होंगे, जो 5.5 प्रतिशत पहुंच सकते हैं व 6 प्रतिशत की ओर बढ़ सकते हैं।

खाद्य कीमतों की महंगाई दर 2018-19 तक नीचे रही। खासकर खाद्यान्न के पर्याप्त भंडार और बागवानी उत्पादों के कारण यह काबू में रही। बहरहाल आगे के वर्षों में खाद्य महंगाई दर बढ़नी शुरू हुई और खासकर यह शुरुआत में सब्जियों की महंगाई से शुरू हुई।

महंगाई की मुख्य वजह बहुत ज्यादा बारिश

महंगाई की मुख्य वजह बहुत ज्यादा बारिश है, जिसकी वजह से प्याज, टमाटर और आलू के दाम बढ़े हैं। सीपीआई फूड ऐंड बेवरिज बास्केट में सब्जियों की हिस्सेदारी 13.2 प्रतिशत है, जिनकी खाद्य महंगाई संचालित करने में ऐतिहासिक रूप से अहम भूमिका रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमत में बढ़ोतरी और उसके बाद खाद्य महंगाई में आने वाली कमी में सब्जियों की अहम भूमिका होती है।

जून के मौद्रिक नीति संबंधी बयान में घरेलू दर तय करने वाली समिति ने कहा था कि प्रमुख महंगाई के भविष्य की राह खाद्य की कीमतों की चाल से प्रभावित होने की संभावना है।

खाद्य वस्तुओं की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत होती है। मई महीने में सीपीआई महंगाई गिरकर 25 माह के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई थी, क्योंकि खाद्य महंगाई 18 माह के निचले स्तर 2.91 प्रतिशत पर थी। अप्रैल मई में उपभोक्ता महंगाई 4.5 प्रतिशत थी।

First Published - July 7, 2023 | 9:48 PM IST

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