सरकार ने देश में प्राकृतिक गैस उत्पादकों को विपणन एवं मूल्य निर्धारण की आजादी देने के लिए नई व्यवस्था शुरू की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज नए उत्पादन क्षेत्रों एवं उच्च दाब एवं तापमान वाले क्षेत्रों में मूल्य निर्धारण के लिए मानक ई-बोली प्रक्रिया की मंजूरी दे दी। नई प्रक्रिया से कंपनियां एवं उपभोक्ता उन नए उत्पादन क्षेत्रों में कीमतें तय कर पाएंगे, जिन्हें फरवरी 2019 के बाद क्षेत्र विकास योजना (एफडीपी) की अनुमति मिली थी। प्राकृतिक गैस उद्योग क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार सरकार की इस पहल से ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा वेदांत की केयर्न ऑयल ऐंड गैस को मदद मिल सकती है।
नई व्यवस्था के बाद कृष्णा गोदावरी बेसिन से ही कम से कम 4 करोड़ मीट्रिक स्टैंडर्ड घन मीटर प्रतिदिन प्राकृतिक गैस का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस बारे में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘उच्च दाब एवं उच्च तापमान वाले क्षेत्रों, कोल बेड मीथेन ब्लॉक, पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा नए खोजे गए क्षेत्रों से मिली गैस को विपणन की आजादी मिलने लगेगी। सरकार ने कारोबार सुगम बनाने के जो उपाय किए हैं, उनकी दिशा में यह बड़ा कदम है।’
सरकारी दिशानिर्देशों के मुताििबक गैस उत्पादकों को बोली में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं मिलेगी। लेकिन उनसे संबद्घ कंपनियां मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया में शिरकत कर सकती हैं। नए गैस क्षेत्रों की खोज नई ई-बोली प्रणाली और उससे जुड़ी विपणन व्यवस्था के तहत आएगी। प्रधान ने कहा, ‘फिलहाल देश में करीब 8.4 करोड़ मीट्रिक स्टैंडर्ड घन मीटर प्रतिदिन प्राकृतिक गैस बनती है और इतनी ही गैस का आयात बाहर से होता है। नई मूल्य प्रणाली में केजी बेसिन से ही रोजाना 4 करोड़ घन मीटर अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो जाएगा। इससे प्राकृतिक गैस के आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी।’
नई मूल्य निर्धारण व्यवस्था से नवंबर, 2014 में शुरू हुई प्रशासित मूल्य व्यवस्था के तहत प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने का मौजूदा तरीका नहीं बदलेगा। मंत्री ने कहा कि दुर्गम क्षेत्रों से निकली गैस के मूल्य की अधिकतम सीमा तय करने की प्रणाली भी चलती रहेगी। चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर से मार्च अवधि के बीच कीमतें 1.79 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई हैं। कीमतें अप्रैल से सितंबर अवधि के बीच 2.39 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के मुकाबले कीमत 25 फीसदी कम हो गई हैं।
सरकार ने गहरे पानी, अत्यधिक गहरे पानी एवं उच्च दाब और उच्च तापमान वाले क्षेत्रों से निकली गैस की मूल्य सीमा 28 प्रतिशत घटाकर समीक्षाधीन अवधि के लिए 4.06 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दी है। नवंबर 2014 में नई मूल्य प्रणाली तय होने के बाद मौजूदा कीमत पिछले छह वर्षों के सबसे निचले स्तर पर हैं।
