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Budget 2024: पीएम-आशा योजना में होगा बदलाव! सरकारी खरीद से दलहन और तिलहन किसानों को मिल सकता है फायदा

नियम में बदलाव के बाद बाजार में दाम घटने पर किसानों की समूची दलहन और तिलहन उपज दाम के अंतर के बराबर मुआवजा पाने की हकदार हो जाएगी, जो सरकार उन्हें देगी।

Last Updated- July 10, 2024 | 9:15 PM IST
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Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट में प्रधानमंत्री अन्नदाता संरक्षण अ​भियान (पीएम-आशा) योजना में बदलाव हो सकता है। इस योजना के तहत चुनिंदा दलहन और तिलहन की 100 फीसदी सीधी खरीद के जरिये या मूल्य में अंतर चुकाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पक्का किया जा सकता है। कृ​षि मंत्री ​शिवराज सिंह चौहान पहले भी कई बार कह चुके हैं कि सभी राज्यों से अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर करने का सरकार का संकल्प है।

सूत्रों ने कहा कि दलहन और तिलहन किसानों को एमएसपी प्रदान करने के मकसद से कुछ साल पहले शुरू की गई इस योजना के दिशानिर्देशों में कोई किसान एक निश्चित मात्रा तक उपज ही बेच सकता है। पहले केंद्र सरकार इस योजना के जरिये किसी सीजन में हुई वास्तविक फसल का 25 फीसदी खरीदने के लिए बाध्य थी।

राज्य सरकार 25 फीसदी से अधिक उपज खरीदना चाहती थी तो उसे अपने पास से रकम लगानी पड़ती थी। बाद में यह सीमा बढ़ाकर 40 फीसदी कर दी गई। मगर 2023-24 में केंद्र ने अरहर, उड़द और मसूर के लिए 40 फीसदी खरीद की सीमा हटा ली थी।

सूत्रों ने कहा कि खरीद की सीमा बढ़ाई जाएगी या बंदिश पूरी तरह हटाई जाएगी, जिससे संकेत मिलता है कि अगर बाजार में कीमतें एमएसपी से कम हुईं तो दलहन और तिलहन किसानों की पूरी उपज एमएसपी पर खरीदी जाएगी। राज्यों का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है।

नियम में बदलाव के बाद बाजार में दाम घटने पर किसानों की समूची दलहन और तिलहन उपज दाम के अंतर के बराबर मुआवजा पाने की हकदार हो जाएगी, जो सरकार उन्हें देगी। एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा, ‘अगर किसी वजह से तिलहन और दलहन की कीमतें एमएसपी से 10 से 15 फीसदी तक गिरती हैं तो जरूरत पड़ने पर उसकी भरपाई की जा सकती है।’

हर साल 20 से ज्यादा फसलों के एमएसपी तय करने वाले कृ​षि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दलहन की सरकारी खरीद पर कोई बंदिश नहीं लगाने और तिलहन के दाम एमएसपी से नीचे जाने पर उस अंतर की भरपाई करने की सलाह दी है।

सीएसीपी ने कहा है, ‘मूल्य समर्थन योजना के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद के लिए 40 फीसदी की जो सीमा 2023-24 में हटा ली गई थी, उसे अगले 2 से 3 सीजन के लिए बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों के लिए उपज का उचित मूल्य पक्का हो सके।’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ दशक में खाद्य तेलों की घरेलू मांग पूरी करने के लिए भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ गई है और देश की 60 फीसदी जरूरत आयात से पूरी की जाती है। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सिंचित क्षेत्रों में तिलहन की खेती को बढ़ावा देने, पैदावार में सुधार लाने और तिलहन उत्पादकों के लिए लाभकारी मूल्य सुनि​श्चित करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत है।

आयोग ने खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन का दायरा सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली आदि तक बढ़ाने की सिफारिश की है। साथ ही मूल्य में अंतर के भुगतान की योजना के तहत तिलहन की खरीद में निजी क्षेत्र की ज्यादा भागीदारी का सुझाव देने के साथ ही पीएम-आशा के तहत निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना के परीक्षण की भी सिफारिश की है।

केंद्र सरकार दालों, तिलहन, कोपरा आदि के लिए 2018 से मूल्य समर्थन योजना चला रही है। इसके तहत एमएसपी से कम दाम होने से कीमत में अंतर का भुगतान किया जाता है। इस योजना की बदौलत दालों का बफर स्टॉक कुछ लाख टन से बढ़कर 20 लाख टन हो गया है।

First Published - July 10, 2024 | 9:15 PM IST

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