इस्पात मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि 13 जून 2025 को जारी आदेश कोई नया गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order – QCO) नहीं है, बल्कि पहले से लागू BIS मानकों को लेकर एक स्पष्टीकरण है। मंत्रालय ने कहा है कि अगस्त 2024 के बाद कोई नया QCO जारी नहीं किया गया है।
मंत्रालय ने साफ किया है कि यदि कोई कंपनी स्टील उत्पादों के निर्माण में किसी मध्यवर्ती (intermediate) सामग्री का उपयोग करती है, तो उस सामग्री को भी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार होना जरूरी है। यह आदेश खास तौर पर तीन कारणों से जरूरी था:
अभी तक भारतीय निर्माता केवल BIS प्रमाणित सामग्री का ही उपयोग करते हैं, लेकिन विदेशों से आयातित स्टील उत्पादों पर यह नियम लागू नहीं था। इससे घरेलू कंपनियों के साथ अन्याय हो रहा था। अब यह नियम आयातित स्टील पर भी लागू होगा।
अगर मूल कच्चा माल जैसे HR/CR कॉइल BIS के मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो अंतिम उत्पाद भी खराब हो सकता है, चाहे उस पर की गई कोटिंग BIS के अनुरूप क्यों न हो। इसलिए हर स्तर पर गुणवत्ता की जांच जरूरी है।
कुछ देशों में स्टील का उत्पादन अधिक है लेकिन खपत कम है, इसलिए वे सस्ता और घटिया स्टील भारत में डंप कर सकते हैं। भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहाँ स्टील की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में घटिया स्टील के आयात से देश की घरेलू स्टील उद्योग और रोजगार को नुकसान पहुँच सकता है।
Also Read | स्प्राइट एग्रो ने पूरा किया 299 करोड़ का कृषि उत्पादों का आर्डर
जिन एकीकृत स्टील संयंत्रों (Integrated Steel Plants) को BIS प्रमाणन पहले ही पूरी उत्पादन प्रक्रिया के लिए मिला हुआ है, उन्हें अलग-अलग चरणों के लिए नए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। इस बारे में आगे स्पष्टता मंत्रालय और BIS मिलकर देंगे।
कुछ लोगों को चिंता है कि इस आदेश से स्टील की कीमतें बढ़ सकती हैं, लेकिन मंत्रालय ने इसे खारिज किया है। भारत की 200 मिलियन टन स्टील उत्पादन क्षमता घरेलू मांग के लिए पर्याप्त है, इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है।
भारत में स्टील की खपत पिछले 3 वर्षों से 12% से अधिक की दर से बढ़ रही है। सरकार के बुनियादी ढांचे, निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग पर जोर के कारण यह मांग और बढ़ेगी।
Ministry of Steel प्रवक्ता इस आदेश का उद्देश्य घरेलू उद्योग को सुरक्षा देना, उच्च गुणवत्ता बनाए रखना, और देश के स्टील सेक्टर को मजबूत बनाना है। सरकार का मानना है कि इससे भारत में रोजगार, निवेश और बुनियादी ढांचा विकास को बढ़ावा मिलेगा।