स्टील निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चा माल लौह अयस्क की कीमतो में पिछले एक महीने में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े स्टील निर्माता देश चीन द्वारा लौह अयस्क की मांग में कमी आई है।
वर्तमान में वैसे लौह अयस्क, जिसमें लौह तत्व 64 प्रतिशत से कम होता है, की कीमत 93 डॉलर प्रति टन है क्योंकि चीन की मांग में नाटकीय रूप से कमी आई है। इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहली वजह यह है कि चीन ने बीजिंग एवं शंगहाई और उसके आसपास के 23 स्टील निर्माता इकाइयों को प्रदूषण से ओलंपिक खेलों पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों के कारण बंद कर दिया है।
स्टील का निर्माण करने वाली ये इकाइयां तीन महीने के लिए बंद की गई हैं और ऐसा माना जा रहा है कि 1 सितंबर को ओलंपिक खेलों की समाप्ति के बाद इन्हें फिर से चालू कि या जाएगा। दूसरी वजह यह है कि चीनी बंदरगाह पूर्णत: अवरुध्द है क्योंकि स्थानीय आयातकों द्वारा जहाजों से माल उतारे जाने में देरी हो रही है। इसलिए नए ऑर्डर कम हो गये हैं।
इससे चीनी आयातक हाजिर बाजार के साथ-साथ लंबी अवधि की आपूर्ति के लिए मूल्यों का फिर से मोल-भाव करने लगे हैं। ऑस्ट्रेलियाई, ब्राजीली, दक्षिण अफ्रीकी और भारतीय हाजिर बाजार से आयात पूर्णत: रूकसा गया है क्योंकि चीनी कारोबारी चाहते हैं कि निर्यातक कीमतों में और कमी करें।
बाजार पर निगाह रखने वालों के अनुसार, महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन की सरकार जानबूझ कर जहाजों से लौह अयस्क उतरवाने में देरी कर रही है ताकि हाजिर सौदे में मूल्यों के मोल-भाव करने का उचित अवसर मिले। गोवा के एक निर्यातक हरेश मेलवानी ने कहा कि किसी भी निर्यातक देश से, जिसमें भारत भी शामिल है, लंबी अवधि के सौदों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज के महासचिव आर. के. शर्मा के अनुसार तकरीबन 602 लाख टन लौह अयस्क से लदे जहाज चीन के पश्चिम तट के बंदरगाह पर भरे पड़े हैं। चीन दो महीनों में इतने लौह अयस्कों की खपत करता है। इससे साफ है कि चीन को किसी अन्य देश से जुलाई के अंत तक लौह अयस्क के आयात की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि जुलाई के महीने में भारत में मॉनसून अपने चरम पर होता है। मॉनसून के दौरान भारत के निर्यात में प्रत्येक वर्ष कमी आती है। मेलवानी ने कहा कि लेकिन इस वर्ष हम चीन से कम मांग की उम्मीद रखते हैं, भले ही फिलहाल बंद इकाइयों का परिचालन पुन: शुरू क्यों न हो जाए।
हाल ही में चीन ने स्टील मिलों को वर्तमान उच्च मूल्य पर लंबी अवधि के सौदे नहीं करने से संबंधित निर्देश दिए हैं, इस देश का लक्ष्य लौह अयस्क कीमतों में 20 प्रतिशत की कमी का है। इसे देखते हुए लौह अयस्क के मूल्य में मॉनसून की शुरुआत से पहले और 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
विडंबना यह है घरेलू स्टील उत्पादक केवल लम्प की खपत करते हैं, जिसमें लौह तत्व की मात्रा 63 प्रतिशत से अधिक होती है जबकि फाइन, जिसमें लौह तत्व 63 प्रतिशत से कम होता है, का निर्यात किया जाता है। अस्थायी आंकड़े निर्यात में थोड़ी कमी की ओर संकेत करते हैं। वर्ष 2006-07 में निर्यात 937 लाख टन का किया गया था जबकि वर्ष 2007-08 में यह 930 लाख टन रहा।