सरकार द्वारा की जाने वाली नीलामी और बिक्री के लिए अतिरिक्त कोटा जारी किए जाने की संभावनाओं से चीनी की कीमतों में पिछले सप्ताह की तुलना में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है और इसकी फैक्ट्री कीमत 1,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
अक्टूबर से सितंबर के अगले सीजन में कम उत्पादन के अनुमानों से मध्य जुलाई से चीनी की कीमतों में 25 फीसदी की वृध्दि हुई थी। 9 अगस्त को सरकार ने 48 लाख टन चीनी का तिमाही कोटा जारी करने के अतिरिक्त 5,00,000 टन चीनी चालू तिमाही की शेष अवधि में बिक्री के लिए जारी किया था।
13 अगस्त को खाद्य मंत्रालय ने 252 चीनी मिलों को 20 लाख टन के बफर स्टॉक में से बेची गई चीनी का मासिक रिटर्न दाखिल नहीं करने के एवज में नोटिस भेजा है। मिलों से कहा गया है कि वे बफर स्टॉक से संबंधित रिटर्न 25 अगस्त तक दाखिल करें।
श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा, ‘चीनी की फैक्ट्री कीमत एक रुपये कम होकर पिछले सप्ताह से 17 रुपये प्रति किलो हो गई है जिसकी वजह सरकार द्वारा अतिरिक्त कोटा का जारी किया जाना है। भविष्य में पर्याप्त चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मूल्य के इस स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता है।’
नैशनल कमोडिटी एक्सचेंज पर सितंबर डिलीवरी वाले चीनी के वायदा मूल्य में भी 11 अगस्त से 3.75 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह प्रति क्विंटल 1,789 रुपये हो गया है। चीनी के मूल्यों में हुई 25 प्रतिशत की वृध्दि के कारण सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है।
उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक में चीनी की भागीदारी 3.62 प्रतिशत है जो सीमेंट के 1.73 प्रतिशत, गेहूं के 1.38 प्रतिशत से अधिक लेकिन लोहा और इस्पात की संयुक्त हिस्सेदारी 3.64 प्रतिशत से कम है। मूल्य में हुई बढ़ोतरी महंगाई में नजर आती जो पहले ही 16 वर्षों के उच्चतम स्तर 12.44 प्रतिशत पर है।
महंगाई में हुई बढ़ोतरी के कारण ही सरकार ने इस्पात और सीमेंट कंपनियों के खिलाफ कदम उठाया है। घरेलू मूल्यों में हुई बढ़ोतरी के कारण चीनी मिलों ने निर्यात का करार करना बंद कर दिया है क्योंकि घरेलू मूल्य उससे बेहतर है। मुरकुंबी ने कहा, ‘पिछले 60 दिनों में मेरी कंपनी ने निर्यात का कोई नया करार नहीं किया है।’
साल 2008-08 के सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी के उत्पादन में महत्वपूर्ण गिरावट की उम्मीद की जा रही है। खाद्य मंत्रालय के अस्थायी उत्पादन अनुमानों के अनुसार 2008-09 में 220 लाख चीनी के उत्पादन की उम्मीद है। वर्तमान सीजन में 265 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।
वर्तमान सीजन में अगर 110 लाख टन चीनी बच जाता है और 2008-09 के सीजन में 220 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है तो चीनी की उपलब्धता 330 लाख टन की होगी जबकि खपत के लिए 220 लाख टन चीनी की मांग है।