केंद्र सरकार घरेलू प्राकृतिक गैस उत्पादन के लिए आधार मूल्य निर्धारित कर सकती है। सरकार का यह कदम देश के घरेलू प्राकृतिक गैस उत्पादकों के लिए राहत की बात साबित हो सकता है। इस कदम से ऑयल इंडिया (ओआईएल), वेदांत की केयर्न ऑयल ऐंड गैस तथा हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी (एचओईसी) के अलावा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को लाभ होने की संभावना है जिसका भारत में उत्पादित प्राकृतिक गैस में तकरीबन 79 प्रतिशत योगदान रहता है।
आधार मूल्य निर्धारित करने के लिए सरकार ने ओएनजीसी, ओआईएल और गेल के प्रतिनिधियों के साथ पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण कोष्ठ (पीपीएसी) के महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
एक सरकारी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि आधार मूल्य निर्धारित करने की दिशा में विचार चल रहा है और इस प्रस्ताव के लिए मंत्रिमंडल से मंजूरी लेनी होगी। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि यह समिति अगले महीने अपनी रिपोर्ट देने वाली है। यह आधार मूल्य 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा या आगामी मूल्य चक्र (मार्च 2021 के बाद) से, इस बात का फैसला समिति की सिफारिशों के बाद ही किया जाएगा।
अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम 2.39 डॉलर प्रति 10 लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) तय किए गए थे जो 1 अक्टूबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के दौरान 1.8 से 1.9 डॉलर एमएमबीटीयू के बीच रहने की उम्मीद है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि मौजूदा फार्मूले के आधार पर दामों में गिरावट हो रही थी। इसलिए समर्थन मूल्य या मूल आधार मूल्य प्रदान किए जाने के लिए उत्पादकों, विशेष रूप से ओएनजीसी की ओर से मांग की जा रही थी क्योंकि आगामी चक्र के दौरान दामों में और गिरावट आने की आशंका है।
मौजूदा नियमों के तहत घरेलू गैस के दाम एक फार्मूले के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं जिसे हेनरी हब, अल्बेर्टा गैस, एनबीपी और रूसी गैस जैसे वैश्विक बेंचमार्क के औसत भारांक से सूचित किया जाता है। ये दाम छह महीने के लिए निर्धारित किए जाते हैं जो पिछले छह महीने के मूल्य निर्धारण के आधार पर होते हैं। इसके अलावा सरकार अपने पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण कोष्ठ के जरिये मुश्किल क्षेत्रों के लिए भी एक निश्चित मूल्य अधिसूचित करती है।
ओएनजीसी जैसे उत्पादकों के मामले में गैस की कीमतें प्रति बैरल परिचालन व्यय के मुकाबले काफी कम रहती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौजूदा दामों पर भी नकारात्मक प्रतिफल मिलता है। ओएनजीसी की प्राकृतिक गैस की औसत उत्पादन लागत पिछले वित्त वर्ष के दौरान लगभग 3.6 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी। इसका अर्थ यह है कि अगर दाम संशोधित करके 1.8- से 1.9 डॉलर प्रति इकाई कर दिए जाते हैं, तो कंपनी अपनी परिचालन लागत का लगभग आधा हिस्सा ही अर्जित कर पाएगी। नया आधार मूल्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के आधार पर तय किए जाने की संभावना है। उद्योग के विशेषज्ञों ने इस बात का संकेत दिया है कि यह आधार मूल्य प्रति इकाई तीन डॉलर के आसपास निर्धारित किया जा सकता है।
तेल एवं गैस परिचालक संघ (एओजीओ) के महासचिव आशु सागर ने कहा कि अगर कोई आधार मूल्य निर्धारित किया जाता है, तो उत्पादकों के लिए यह अस्थायी राहत होगी, क्योंकि दामों में गिरावट आ रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक गैस की मांग कम हो रही है। बाजार में प्राकृतिक गैस की अधिकता है। एलएनजी के दामों में भी गिरावट आ रही है। मैं समझता हूं कि उन्हें यह फार्मूला छोड़ देना चाहिए और बाजार मूल्य मुक्त रहना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उत्पादों को बेहतर प्रतिफल मिलेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा फार्मूला दोषपूर्ण है।