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आभूषणों की बिक्री 3 साल में 25 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य

Last Updated- December 11, 2022 | 12:51 AM IST

देश भर में 300,000 जौहरियों का प्रतिनिधित्व करने वाली नोडल एजेंसी, ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) ने अगले 2-3 सालों के लिए घरेलू हीरे और आभूषण की बिक्री के लिए 25 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य तय किया है।
आर्थिक मंदी की वजह से देश की 80,000 करोड़ की घरेलू हीरे और आभूषण उद्योग की बिक्री में 10-15 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी। साफतौर पर निर्यात में 25 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है।
खासतौर पर अमेरिका में जहां देश के आभूषणों का 80 फीसदी निर्यात होता है, उसमें कमी आई है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका आर्थिक मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है। घरेलू बाजार में सोने और हीरे के गहनों के लिए ज्यादा रुझान होने की वजह से बिक्री बेहतर ही रही। विदेशी बाजार में गहनों की खरीद केवल फैशन के लिए किया जाता है।
भारतीय उपभोक्ता गहनों की खरीद को एक निवेश विकल्प के रूप में देखते हैं। जीजेएफ के नए अध्यक्ष विनोद हयाग्रिव का कहना है, ‘घरेलू बिक्री से 25 फीसदी वृद्धि का हमारा लक्ष्य पूरा होगा और यह अगले 2-3 वर्षो में 1,25,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।’
जीजेएफ उपभोक्ताओं की जागरुकता और विश्वास बहाली के उपाय, जिसके तहत उपभोक्ताओं को आभूषण की दुकान की ओर आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों तैयार करने के लिए वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के साथ बातचीत कर रही है।
डब्ल्यूजीसी की बेहतर कोशिश की वजह से ही मंदी के माहौल में भी घरेलू गहनों का बाजार 20-25 फीसदी तक बढ़ रहा है। जीजेएफ के पूर्व अध्यक्ष अशोक मिनावाला का कहना है कि खासतौर पर अक्षय तृतीया, धनतेरस, लक्ष्मी पूजा की वजह से भारत में गहनों की बिक्री बढ़ती है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान फेडरेशन मुंबई में ‘इंडिया ज्वेलरी वीक’ आयोजित कराने की योजना बना रही है। इसमें हिस्सेदारी करने वाले प्रतिभागियों को परंपरागत और आधुनिक उपभोक्ताओं के लिए बेहतर डिजाइन के गहने बनाना है।
मिनावाला का कहना है, ‘हमलोगों ने उपभोक्ताओं का आधार बनाने के लिए बहुत बड़ी कवायद शुरू की है मसलन हमने देश भर में कीमतों में एकरुपता लाने का फैसला लिया है। यह रास्ता मुश्किल जरूर है लेकिन अगर एक बार इसे हासिल कर लिया गया तो इससे उपभोक्ताओं की सोच पर बहुत फर्क पड़ेगा। नतीजतन खरीदारों की तादाद में इजाफा होगा।’
उनका कहना है कि हीरे की कीमतों में 30-35 फीसदी तक की कमी आने की वजह से उपभोक्ताओं का आकर्षण बढ़ा है। शहरी क्षेत्रों में लोग सोने के बजाय हीरे के गहने खरीद रहे हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग सोना खरीदने के लिए तरजीह देते हैं। जीजेएफ आभूषणों के ग्रेड के प्रमाणीकरण के लिए एक ‘ट्रस्ट मार्क’ तैयार कर रही है।
जीजेएफ का यह ग्रेड जौहरियों के आकार और दूसरे कारोबार की नीतियों पर आधारित होगा। हालांकि सोने के लिए हॉलमार्क जरूरी होगा। यह फेडरेशन स्मार्ट कार्ड प्रोग्राम पर काम कर रही है, अगर इसका क्रियान्वयन किया जाता है तो इससे जौहरियों के नीतिगत काम का मूल्यांकन किया जा सकेगा। एक बार उपभोक्ताओं का विश्वास बन जाता है तो कारोबार खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।

First Published - April 15, 2009 | 11:50 PM IST

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