उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरे साल गन्ना के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। पेराई सत्र चालू होने के साढ़े तीन महीने बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ना की सरकारी कीमतों का एलान किया है और इसमें किसी तरह की तब्दीली नहीं की गई है। गन्ना के समर्थन मूल्य का ऐलान तब किया गया है जब ज्यादातर चीनी मिलें पेराई बंद करने की तैयारी में है।
रविवार देर रात उत्तर प्रदेश की कैबिनेट के बाइसर्कुलेशन से लिए गए फैसले के मुताबिक गन्ना किसानों को मौजूदा पेराई सत्र में भी गन्ने का वही भाव मिलेगा जो लगातार पिछले दो पेराई सत्र से मिलता रहा है। मंत्रिपरिषद ने गन्ना विकास विभाग के इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी और गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया।
मंत्रिपरिषद के फैसले के मुताबिक इस पेराई सत्र में भी गन्ना किसानों को गन्ने की रिजेक्टेड वैराइटी के लिए 310 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के गन्ने के लिए 315 रुपये और अगैती प्रजाति के लिए 325 रुपये प्रति क्विंटल का ही भाव मिलेगा। प्रदेश में अब सबसे ज्यादा अगैती प्रजाति का ही गन्ना बोया जाता है।
गौरतलब है कि नवंबर से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का मौजूदा पेराई सत्र अब समाप्ति की ओर है और ज्यादातर मिलों में गन्ने की अधिकांश पेराई हो चुकी है। फरवरी के महीने में ही आधे से ज्यादा चीनी मिलें बंद हो जाएंगी। प्रदेश में गन्ना मूल्य घोषित होने की वजह से इस बार किसानों को अब तक पुरानी दर पर ही भुगतान होता रहा है। अगर मौजूदा पेराई सत्र में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य बढ़ता तो फिर मिलों को किसानों को बढ़े हुए गन्ना मूल्य के हिसाब से एरियर भी देना पड़ता।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद 2017-18 के पेराई सत्र में गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था। जबकि इससे पहले की समाजवादी पार्टी सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में दो बार में कुल 65 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य बढ़ाया था। सपा सरकार ने 2012-13 के पेराई सत्र में सत्ता संभालने के पहले साल 40 रुपये और आखिरी साल साल 25 रुपये गन्ने की कीमत बढ़ाई थी। इसके पहले तत्कालीन बसपा सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में 125 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव बढ़ाया था।
योगी सरकार के गन्ना मूल्य न बढ़ाए जाने को लेकर किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। किसान नेता कर्ण सिंह का कहना है कि एक ओर तो सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने के दावे कर रही है जबकि लगातार तीसरे साल गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। उनका कहना है कि तीन सालों में बुआई की लागत बढ़कर दोगुना हो गई है।