facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

लगातार तीसरे साल भी नहीं बढ़े यूपी में गन्ने के दाम

Last Updated- December 12, 2022 | 8:16 AM IST

उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरे साल गन्ना के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। पेराई सत्र चालू होने के साढ़े तीन महीने बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ना की सरकारी कीमतों का एलान किया है और इसमें किसी तरह की तब्दीली नहीं की गई है। गन्ना के समर्थन मूल्य का ऐलान तब किया गया है जब ज्यादातर चीनी मिलें पेराई बंद करने की तैयारी में है।
रविवार देर रात उत्तर प्रदेश की कैबिनेट के बाइसर्कुलेशन से लिए गए फैसले के मुताबिक  गन्ना किसानों को मौजूदा पेराई सत्र में भी गन्ने का वही भाव मिलेगा जो लगातार पिछले दो पेराई सत्र से मिलता रहा है। मंत्रिपरिषद ने गन्ना विकास विभाग के इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी और गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया।
मंत्रिपरिषद के फैसले के मुताबिक इस पेराई सत्र में भी गन्ना किसानों को गन्ने की रिजेक्टेड वैराइटी के लिए 310 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के गन्ने के लिए 315 रुपये और अगैती प्रजाति के लिए 325 रुपये प्रति क्विंटल का ही भाव मिलेगा। प्रदेश में अब सबसे ज्यादा अगैती प्रजाति का ही गन्ना बोया जाता है।  
गौरतलब है कि नवंबर से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का मौजूदा पेराई सत्र अब समाप्ति की ओर है और ज्यादातर मिलों में गन्ने की अधिकांश पेराई हो चुकी है। फरवरी के महीने में ही आधे से ज्यादा चीनी मिलें बंद हो जाएंगी। प्रदेश में गन्ना मूल्य घोषित होने की वजह से इस बार किसानों को अब तक पुरानी दर पर ही भुगतान होता रहा है। अगर मौजूदा पेराई सत्र में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य बढ़ता तो फिर मिलों को किसानों को बढ़े हुए गन्ना मूल्य के हिसाब से एरियर भी देना पड़ता।  
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद 2017-18 के पेराई सत्र में गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था। जबकि इससे पहले की समाजवादी पार्टी सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में दो बार में कुल 65 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य बढ़ाया था।  सपा सरकार ने 2012-13 के पेराई सत्र में सत्ता संभालने के पहले साल 40 रुपये और आखिरी साल साल 25 रुपये गन्ने की कीमत बढ़ाई थी। इसके पहले तत्कालीन बसपा सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में 125 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव बढ़ाया था।
योगी सरकार के गन्ना मूल्य न बढ़ाए जाने को लेकर किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। किसान नेता कर्ण सिंह का कहना है कि एक ओर तो सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने के दावे कर रही है जबकि लगातार तीसरे साल गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। उनका कहना है कि तीन सालों में बुआई की लागत बढ़कर दोगुना हो गई है। 

First Published - February 15, 2021 | 9:05 PM IST

संबंधित पोस्ट