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नए साल में भी इस्पात की कीमतों में बढ़ोतरी जारी

Last Updated- December 10, 2022 | 2:12 AM IST

इस्पात के बढ़ते दामों को लेकर शोरगुल के बीच कुछ कंपनियों द्वारा कीमतों में प्रति टन 1,000 से लेकर 2,400 रुपये तक की वृद्धि करने से नए साल में भी यह इजाफा जारी है तथा आने वाले सप्ताहों में और इजाफे के संकेत मिल रहे हैं।
एक प्राथमिक विनिर्माता ने कहा कि इस महीने यह इजाफा क्रमबद्ध रूप से होगा और कुल इजाफा प्रति टन 6,000 रुपये हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस इजाफे का प्रथम भाग पहले से ही प्रभावी है। हमने हॉट रोल्ड कॉइल के दाम प्रति टन 1,500 रुपये तक और सरिये के दाम प्रति टन तकरीबन 2,400 रुपये तक बढ़ा दिए हैं।
जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) ने दामों में प्रति टन 1,000 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। कंपनी के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा कि बाजार अच्छा है, लेकिन अगर एनएमडीसी अपने लौह अयस्क की कीमतें इसी स्तर पर रखती है, तो दाम स्थिर हो जाएंगे।
सोमवार को जारी किए गए जेएसपीएल के उत्पादन के आंकड़ों में बाजार में इस उछाल की छाप दिखाई दी। कंपनी ने दिसंबर में अपना सर्वकालिक अधिकतम उत्पादन और बिक्री दर्ज की। तीसरी तिमाही के दौरान इसका उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत बढ़कर 19.3 लाख टन हो गया, जबकि इसी अवधि के दौरान बिक्री पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़कर 18.8 लाख टन हो गई।
अन्य प्रमुख विनिर्माताओं से भी तीसरी तिमाही के दौरान अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। हालांकि कुछ कंपनियां दामों में इजाफे का फैसला करने से पहले कीमतों के संबंध में एनएमडीसी के रुख का इंतजार कर रही थीं। एक विनिर्माता ने कहा कि हम इस सप्ताह फैसला करेंगे।
जब से भारत ने अनलॉकिंग के चरण में प्रवेश किया है, तब से इस्पात की कीमतों में लगातार इजाफे का रुख बना हुआ है। शर्मा ने बताया कि लंबे उत्पादों की कमी है, क्योंकि उत्पादन में करीब 40 प्रतिशत का योगदान करने वाले द्वितीयक विनिर्माता उत्पादन के सही स्तर तक नहीं आ पाए हैं। वे 30 से 31 प्रतिशत तक उत्पादन कर रहे हैं।
अलबत्ता दामों में इस इजाफा से उपयोगकर्ता उद्योगों में बेचैनी पैदा हो गई है। कच्चे माल के उद्योग ने भी इस मामले को उठाया है।
करीब एक सप्ताह पहले भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र लिखा था जिसमें उसने उद्योग द्वारा की गई इस दाम वृद्धि के पीछे की वजह बताई थी। इनमें से प्रमुख वजह यह थी कि वैश्विक आपूर्ति में अस्थायी रूप से कमी और प्रमुख कच्चे माल लौह अयस्क की कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय दाम 397 डॉलर प्रति टन के निचले स्तर से बढ़कर 750 डॉलर प्रति टन हो गए थे।

First Published - January 5, 2021 | 11:47 PM IST

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