facebookmetapixel
Assam Earthquake: असम में 5.9 तीव्रता का भूकंप, गुवाहाटी में मची अफरा-तफरी, लोग घरों से बाहर निकलेसिर्फ एक फंड से टाटा-बिड़ला से लेकर अंबानी-अदाणी तक के शेयरों में करें निवेश, जानें कैसे काम करते हैं कांग्लोमरेट फंडPM मोदी ने असम में ₹18,530 करोड़ की परियोजनाओं को दी मंजूरी, बायोएथेनॉल, पॉलीप्रोपाइलीन प्लांट का किया शुभारंभTata Capital ला रहा ₹17,000 करोड़ का बड़ा IPO, IFC की हिस्सेदारी बेचकर कमाएगा 13 गुना मुनाफाशेयर बाजार में मचेगी धूम! अगले दो-तीन हफ्तों में एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां लाएंगी IPO, जुटाएंगी ₹10,000 करोड़इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI का रास्ता साफ? संसद के शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है विधेयकपीएम मोदी ने असम को दी ₹6,300 करोड़ की स्वास्थ्य और इन्फ्रा परियोजनाओं की सौगातUP: कन्नौज का आनंद भवन पैलेस बना उत्तर प्रदेश का पहला लग्जरी हेरिटेज होमस्टेMCap: बाजाज फाइनेंस की मार्केट कैप में सबसे ज्यादा बढ़त, 8 कंपनियों का कुल मूल्य ₹1.69 ट्रिलियन बढ़ाMarket Outlook: इस सप्ताह US Fed की नीति और WPI डेटा पर रहेगी नजर, बाजार में दिख सकती है हलचल

महंगाई पर इस्पाती अंकुश

Last Updated- December 05, 2022 | 7:03 PM IST

स्टील की बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार इस्पात मंत्रालय की ओर से बुलाई गई बैठक में आखिरकार स्टील निर्माताओं पर दबाव बनाने में कामयाब हो गई।


और उसने उद्यमियों को इस बात पर राजी कर लिया कि वे स्टील की कीमतों में कटौती करें। बैठक के बाद इस्पात मंत्रालय के सचिव आर. एस. पांडेय ने कहा कि सेल और टाटा समेत प्रमुख इस्पात उत्पादक कंपनियां 2000 रुपये प्रति टन तक कीमतों में कमी करेंगे। जबकि जीसी शीट की कीमतों में 500-1000 प्रति टन की कटौती की जाएगी। दरअसल, यह कदम सुरसा की तरह मुंह फैला रही महंगाई पर कुछ हद तक काबू में लाने के लिए उठाया जा रहा है।


उधर, इस्पात मंत्रालय के सचिव आर. एस. पांडेय के साथ गुरुवार को हुई स्टील उत्पादकों की एक बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि द्वितीयक इस्पात उत्पादक हॉट रोल्ड कॉयल्स (एचआरसी) के आयात को 6 लाख टन से बढ़ाकर 16 लाख टन करेंगे। यह निर्णय इसलिए लिया गया, ताकि घरेलू बाजार में एलॉय की किल्लत न हो।


उल्लेखनीय है कि द्वितीयक उत्पादकों में स्पंज आयरन उत्पादक, टिन प्लेट और कोल्ड रोलिंग इकाई आदि शामिल हैं, जो आमतौर पर एडवांस लाइसेंस सिस्टम के तहत 10 लाख टन एचआरसी का सालाना आयात करते हैं।


सरकार ने स्टील उत्पादकों को 16 लाख टन हॉट रोल्ड कॉयल्ड का आयात करने को कहा है। इसके साथ ही उत्पादकों को इतनी ही मात्रा में निर्मित स्टील उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि जनवरी 2008 से टीएमटी बार की कीमतों में 40 फीसदी का उछाल आया है और यह 42,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था।


थोक मूल्य सूचकांक में स्टील (आयरन के साथ) का भारांक 3.64 फीसदी है। ऐसे में इसकी कीमत पर अंकुश लगने से मुद्रास्फीति की दर में भी कमी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि 15 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर 13 माह के उच्चतम स्तर (6.68 फीसदी) पर पहुंच चुकी है।


फौलादी हथियार से लड़ेंगे जंग


जीसी शीट के दाम भी कम करेंगी इस्पात कंपनियां
एचआरसी का आयात 6 लाख टन से बढ़ाकर 16 लाख टन किया
जनवरी 2008 से अब तक स्टील की कीमतों में आया 40 फीसदी का उछाल

First Published - April 4, 2008 | 1:03 AM IST

संबंधित पोस्ट