स्टील की बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार इस्पात मंत्रालय की ओर से बुलाई गई बैठक में आखिरकार स्टील निर्माताओं पर दबाव बनाने में कामयाब हो गई।
और उसने उद्यमियों को इस बात पर राजी कर लिया कि वे स्टील की कीमतों में कटौती करें। बैठक के बाद इस्पात मंत्रालय के सचिव आर. एस. पांडेय ने कहा कि सेल और टाटा समेत प्रमुख इस्पात उत्पादक कंपनियां 2000 रुपये प्रति टन तक कीमतों में कमी करेंगे। जबकि जीसी शीट की कीमतों में 500-1000 प्रति टन की कटौती की जाएगी। दरअसल, यह कदम सुरसा की तरह मुंह फैला रही महंगाई पर कुछ हद तक काबू में लाने के लिए उठाया जा रहा है।
उधर, इस्पात मंत्रालय के सचिव आर. एस. पांडेय के साथ गुरुवार को हुई स्टील उत्पादकों की एक बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि द्वितीयक इस्पात उत्पादक हॉट रोल्ड कॉयल्स (एचआरसी) के आयात को 6 लाख टन से बढ़ाकर 16 लाख टन करेंगे। यह निर्णय इसलिए लिया गया, ताकि घरेलू बाजार में एलॉय की किल्लत न हो।
उल्लेखनीय है कि द्वितीयक उत्पादकों में स्पंज आयरन उत्पादक, टिन प्लेट और कोल्ड रोलिंग इकाई आदि शामिल हैं, जो आमतौर पर एडवांस लाइसेंस सिस्टम के तहत 10 लाख टन एचआरसी का सालाना आयात करते हैं।
सरकार ने स्टील उत्पादकों को 16 लाख टन हॉट रोल्ड कॉयल्ड का आयात करने को कहा है। इसके साथ ही उत्पादकों को इतनी ही मात्रा में निर्मित स्टील उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि जनवरी 2008 से टीएमटी बार की कीमतों में 40 फीसदी का उछाल आया है और यह 42,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था।
थोक मूल्य सूचकांक में स्टील (आयरन के साथ) का भारांक 3.64 फीसदी है। ऐसे में इसकी कीमत पर अंकुश लगने से मुद्रास्फीति की दर में भी कमी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि 15 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर 13 माह के उच्चतम स्तर (6.68 फीसदी) पर पहुंच चुकी है।
फौलादी हथियार से लड़ेंगे जंग
जीसी शीट के दाम भी कम करेंगी इस्पात कंपनियां
एचआरसी का आयात 6 लाख टन से बढ़ाकर 16 लाख टन किया
जनवरी 2008 से अब तक स्टील की कीमतों में आया 40 फीसदी का उछाल