भारतीय रिफायनरी के लिए कच्चे तेल का बास्केट प्राइस गुरुवार को 4 डॉलर प्रति बैरल गिरकर 96.77 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
यहां गुरुवार का जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ताजा आंकड़े इसी दिन के उपलब्ध हैं।गौरतलब है कि 14 मार्च को बास्केट प्राइस 103.80 डॉलर प्रति बैरल के रेकॉर्ड पर पहुंच गया था। 7 मार्च के बाद पहली बार यह 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया है।
मुंबई के एक विशेषज्ञ ने बताया कि बास्केट प्राइस में कमी होने से साफ पता चल रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें कम होने केबाद से ही निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी है।
ओमान और दुबई से हाई सल्फर युक्त कच्च्चा तेल और ब्रेंट स्वीट (लो सल्फर) 61.4:38.6 के अनुपात में खरीदा जाता है। न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में सोमवार को कच्चे तेल का कारोबार 100 डॉलर प्रति बैरल पर हुआ जबकि एक पखवाड़े पहले यह 111 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था। हालांकि कच्चे तेल के लिए भारतीय बास्केट प्राइस इस महीने औसतन 100.12 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
फरवरी में यह 92.37 बैरल के स्तर पर था जबकि जनवरी में 89.52 बैरल के स्तर पर। देश की तेल मार्केटिंग कंपनियां मसलन इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम खुदरा बिक्री से रोजाना करीब 410 करोड़ रुपये का नुकसान उठा रही हैं क्योंकि उन्हें बढ़ती कीमतों का भार उपभोक्ताओं पर डालने का अधिकार नहीं है। तेल मार्केटिंग की सबसे बड़ी भारतीय कंपनी इंडियन ऑयल अकेले रोजाना पेट्रोल पर 9.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12.20 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठा रही हैं।