facebookmetapixel
₹12 तक डिविडेंड पाने का आज आखिरी मौका! कल ये 6 कंपनियां करेंगे एक्स डेट पर ट्रेडलाल किले के पास विस्फोट की जांच अब NIA करेगी, पुलवामा से जुड़े मॉड्यूल पर सतर्कताअचल संपत्ति बेचना ‘सेवा’ नहीं, यह सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर: सुप्रीम कोर्ट तेजी का मौका! एनालिस्ट ने बताए 3 स्टॉक्स जो पहुंच सकते हैं ₹2,980 तकग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य में बदलाव, 2030 तक 30 लाख टन उत्पादन का नया टारगेटStock Market Today: गिफ्ट निफ्टी से पॉजिटिव संकेत, एशिआई बाजारों में तेजी; आज चढ़ेगा या गिरेगा बाजार ?क्विक कॉमर्स में मुनाफे की नई दौड़ शुरू! मोतीलाल ओसवाल ने Swiggy और Eternal पर जारी किए नए टारगेट्सIRDAI की नजर स्वास्थ्य बीमा के दावों पर, निपटान राशि में अंतर पर चिंताPNB, केनरा और इंडियन बैंक भी करेंगे बॉन्ड मार्केट में प्रवेश, धन जुटाने की तैयारीजीएसटी सुधार से FY26 में भारत की GDP ग्रोथ 7.4% तक पहुंचेगी: NIPFP

झींगा निर्यात डीईपीबी योजना में शामिल

Last Updated- December 05, 2022 | 7:05 PM IST

केंद्र सरकार इन दिनों झींगा निर्यात को प्रोत्साहित करने में जुटी है। सरकार ने इस वास्ते झींगा उत्पादन को विशेष कृषि ग्राम उपाय योजना (वीकेजीयूवाई) के तहत लाने की घोषणा की है।


इस योजना के तहत आने से झींगा क्षेत्र के निर्यातकों को डयूटी एंटाइटलमेंट पासबुक (डीईपीबी) योजना के तहत 3.5 फीसदी का अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा। सोमवार को सरकार की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। और डीईपीबी स्कीम को आगे बढ़ाने का भी फैसला किया गया है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय झींगा उद्योग पर  बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने ये कदम उठाए हैं। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती, चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया व थाईलैंड जैसे देशों से झींगा उत्पादकों को लगातार मिल रही प्रतिस्पर्धा, अमेरिका द्वारा एंटी डंपिंग डयूटी लगाने की घोषणा एवं चीन, वियतनाम, ब्राजील व थाइलैंड जैसे देशों से वनामी जैसी झींगा की सस्ती किस्म के बाजार में आने से भी सरकार ने झींगा उत्पादों को इस प्रकार के प्रोत्साहन देने का फैसला किया है।


सी फुड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआई) के अध्यक्ष अनवर हाशिम के मुताबिक इस प्रकार की दो अधिसूचना निश्चित रूप से झींगा उत्पादकों के लिए लाभदायक साबित होगी। इससे मछली उद्योग के निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी। एसोसिएशन ने मछली उद्योग की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री व सोनिया गांधी को एक ज्ञापन भी सौंपा है।


विज्ञापन के माध्यम से सरकार को मछली उद्योग की स्थिति में सुधार के लिए जरूरी उपायों के सुझाव भी दिए गए थे। साथ ही डीईपीबी स्कीम को आगे बढ़ाने की भी बात कही गई थी। लेकिन सरकार शुरू में इन सुझावों पर अमल करने पर टालमटोल कर रही थी। खासकर झींगा उद्योग को वीकेजीयूवाई स्कीम में शामिल करने के मुद्दे पर सरकार आसानी से राजी नहीं हो रही थी। क्योंकि ऐसा करने पर इसके निर्यातकों को 3.5 फीसदी का अतिरिक्त लाभ देना पड़ता।


हाशिम का कहना है कि झींगा के अलावा अन्य प्रकारों की मछलियों के निर्यातकों को भी इस प्रकार का अतिरिक्त लाभ मिलना चाहिए।कट्टल व स्कीव्ड जैसी मछलियों के निर्यातकों को भी इस स्कीम के तहत जोड़ा जाना चाहिए। क्योंकि इन मछलियों का भी काफी अधिक मात्रा में निर्यात किया जाता है।


उन्होंने  बताया कि एसोसिएशन अन्य समुद्री खाद्य पदार्थों को इस प्रकार की स्की में शमिल करने के लिए सरकार से गुजारिश करेगी। एसोसिएशन ने सरकार ने मछली उत्पादन क्षेत्र को कम दर पर डीजल उपलब्ध कराने की भी मांग की है।

First Published - April 5, 2008 | 12:27 AM IST

संबंधित पोस्ट