चीनी उत्पादकों के शेयर सुर्खियों में हैं, क्योंकि उम्मीद से कम घरेलू अतिरिक्त उत्पादन और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों की उम्मीद से निवेशक धारणा मजबूत हुई है।
पिछले कुछ वर्षों से, चीनी उद्योग को अतिरिक्त उत्पादन और ऊंचे चीनी इन्वेंट्री की दोहरी समस्या से जूझना पड़ रहा था जिससे चीनी कीमतों पर दबाव बढ़ गया था। चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर 2020-सितंबर 2021) के शुरू में भारत ने 3.1 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया था और 1 अक्टूबर, 2020 को यह स्टॉक करीब 1.1 करोड़ टन पर था।
भारत हर साल औसतन करीब 2.55-2.6 करोड़ टन चीनी की खपत करता है। 28 जनवरी, 2021 को, उद्योग संस्था इस्मा ने अपना दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया जिसमें घरेलू उत्पादन उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों से कम उत्पादन की वजह से 3.02 करोड़ टन रहने की संभावना जताई गई। इन दोनों राज्यों का संयुक्त रूप से पूरे भारत के चीनी उत्पादन में दो-तिहाई से ज्यादा का योगदान है। इसकी वजह से घरेलू चीनी उपलब्धता लगातार दूसरे वर्ष घटेगी। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन मौजूदा सीजन में 20 प्रतिशत घटकर 1 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है, जबकि पिछले सीजन में यह 1.26 करोड़ टन रहा। उत्पादन में गिरावट मुख्य तौर पर एथेनॉल के उत्पादन की ओर बढ़ते रुख की वजह से आ सकती है, क्योंकि राज्य के कुछ पूर्वी और मध्य हिस्सों में गन्ने के खेतों में बारिश का पानी जमा होने की वजह से कीटों का प्रकोप भी बढ़ा।
वर्ष के शुरू में महाराष्ट्र में बंपर फसल की आशंका भी बाद में बारिश से गन्ने की फसली प्रभावित होने की खबरों के बीच घट गई है। बीऐंडके सिक्योरिटीज ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘यह पता चला है कि पूर्वी और दक्षिणी सोलापुर में गन्ने के खेतों को बारिश (अक्टूबर के दौरान) से ज्यादा नुकसान पहुंचा। भारी बारिश की वजह से अधिकारियों को बांधों से अतिरिक्त पानी छोडऩे के लिए बाध्य होना पड़ा और गन्ने के खेतों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। चूंकि यह पानी 4-6 सप्ताह तक कम नहीं हुआ और कुछ मामलों में पेराई सिर्फ 50-60 प्रतिशत ही हो पाई। कुल मिलाकर, महाराष्ट्र के लिए उत्पादन अनुमान अब सीजन वर्ष 2020-21 के लिए करीब 1 करोड़ टन का है, जो मूल अनुमान के मुकाबले करीब 5-10 लाख टन कम है।’ इस पृष्ठभूमि के विपरीत, बलरामपुर चीनी मिल्स, धामपुर शुगर, द्वारिकेश शुगर और त्रिवेणी इंजीनियरिंग जैसी चीनी मिलों के शेयर पिछले कुछ सप्ताहों में 19 से 30 प्रतिशत के दायरे में चढ़े हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक संजय मान्याल ने कहा, ‘मिड-टु-लॉन्ग टम के नजरिये से, हम डालमिया भारत शुगर और त्रिवेणी इंजीनियरिंग दोनों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें विश्वास है कि ये कंपनियां रिकवरी और प्रतिफल में कमजोरी से कम प्रभावित होंगी।’
मान्याल एथेनॉल में क्षमता वृद्घि को ध्यान में रखते हुए बलरामपुर चीनी मिल्स पर भी सकारात्मक बने हुए हैं। लेकिन उनका माननना है कि अगली कुछ तिमाहियों का प्रदर्शन पूर्वी उत्तर प्रदेश में कम चीनी उत्पादन की वजह से प्रभावित होने की आशंका है।