उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान को गलत ठहराते हुए आलू क्षेत्र के नाम से मशहूर आगरा के किसानों ने आलू की इतनी पैदावार कर दी है कि उनके उत्पाद को कोल्ड स्टोरेज तक मयस्सर नहीं हो रहे।
अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरे, तीन हफ्ते पहले की ही तो बात है राज्य के बागवानी मंत्री नारायण सिंह सुमन ने विधानसभा में कहा कि वसंत के देर होने से आलू के उत्पादन में 8 से 12 फीसदी तक की गिरावट आने का अंदेशा है। पर महज कुछ ही दिनों बाद जब आलू की फसल उखाड़ी जाने लगी तो उत्पादन में कमी के कयास सिरे से गलत साबित हो गए।
जहां राज्य सरकार का अनुमान था कि इस साल आगरा क्षेत्र में 8.35 लाख मीट्रिक टन आलू उपजेगा, वहीं पूरी फसल उखड़ने से पहले ही उपज का आंकड़ा 11 लाख मीट्रिक टन को पार कर चुका है। अब आलू के इस बंपर उत्पादन से हालत यह बन रहे हैं कि किसानों को उसे कोल्ड स्टोरेज की बजाय खेतों में ही रखने को मजबूर होना पड़ रहा है। आगरा के सभी 160 स्टोरेज ने आलू को रखने से मना कर हाउसफुल का बोर्ड अपने दरवाजे पर टांग दिया है।
आगरा आलू उत्पादन के लिहाज से उत्तरी भारत का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र रहा है। इसके चलते इसे आलू बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश के कुल आलू का 8 प्रतिशत आलू उपजाया जाता है।
यहां के किसान भी दूसरे किसी फसल के बजाय आलू उपजाना ज्यादा पसंद करते हैं। पर इस सीजन की इस अजीबोगरीब स्थिति पर बात करते हुए फतेहाबाद के एक आलू उत्पादक रामप्रकाश ने दावा किया कि आलू के 250 बोरे से भरे उनके ट्रैक्टर को इलाके के सभी कोल्ड स्टोरेज ने रखने से मना कर दिया है।
उनका अनुरोध सभी जगह खारिज कर दिया गया। उनके अनुसार, आलू के लगभग 1,000 बोरे खेतों में ही पड़े हुए हैं पर इस गर्मी में इन्हें शायद ही कोल्ड स्टोरेज मिल पाए। यदि यही हाल रहा और राज्य सरकार ने आलू को दूसरे राज्यों में भेजने के कोई इंतजाम नहीं किए तो आलू उपजाने वाले किसान बर्बाद हो जाएंगे।