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बोला स्टील उद्योग, सरकार माने हमारी बात

Last Updated- December 05, 2022 | 5:00 PM IST

स्टील के दामों में गिरावट की संभावना बनती नजर आ रही है। स्टील उत्पादकों ने सरकार से कहा है कि अगर स्टील से जुड़े धातुओं पर लगने वाले उत्पाद कर में कमी की जाती है तो वे स्टील की कीमत में कमी कर सकते हैं।


उत्पादकों का कहना है कि उत्पाद कर में कमी से उनकी लागत में कमी आएगी और वे इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी देंगे।इंडियन स्टील एलायंस (आईएसए) के अध्यक्ष मूसा रजा ने बताया कि वे स्टील के बढ़ते दामों को लेकर पहले से ही काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि स्टील एलायंस ने सरकार से धातु के उत्पाद कर को 12 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने के लिए कहा है।


अगर ऐसा होता है कि हम स्टील की कीमत को कम कर देंगे और इसका फायदा उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। आईएसए ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी पत्र लिखा है। आईएसए ने अपने पत्र में स्टील मंत्री रामविलास पासवान के उस सुझाव का भी विरोध किया है जिसके तहत स्टील की कीमतों पर नजर रखने के लिए एक निगरानी समिति गठित करने की बात कही गई है।


रजा ने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा स्टील की कीमत को कम करने के लिए कहे जाने पर कोई परेशानी नहीं है लेकिन इस वास्ते सरकार को भी लौह अयस्क की बढ़ती कीमतों की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि स्टील के भाव उसके उत्पादन की लागत में हुई बढ़ोतरी के कारण बढ़े है।


लौह अयस्क की कीमत 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 13,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है। उसी ढ़ंग से कच्चे कोयले की कीमतों में तीन गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है तो प्राकृतिक गैस के दाम भी तीन गुना बढ़ गए हैं।


रजा ने कहा कि सरकार को लौह अयस्क के बढ़ते निर्यात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। इस साल 105 लाख टन लौह अयस्क के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। जो कि गत साल के मुकाबले 13 फीसदी अधिक है। उन्होंने कहा कि वे स्टील के निर्यात पर पाबंदी के पक्ष में नहीं है लेकिन सरकार को घरेलू स्टील उद्योग की बढ़ती मांग को भी ध्यान में रखना होगा।


इधर एलायंस ने स्टील उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी को सही ठहराने के लिए अपनी दलीलों के साथ सभी प्रमुख दैनिक अखबारों में अपना विज्ञापन जारी किया है। उनकी दलील है कि विश्व के  बाजार में स्टील की उपयोगिता बढ़ती जा रही है और घरेलू उत्पादक भी इस बात को नजर अंदाज नहीं कर सकते है।


रजा ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र  में कहा है, ‘स्टील की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की चिंता वाजिब है और स्टील उत्पादक भी इससे इत्तेफाक रखते है, लेकिन स्टील के बाजार पर अंकुश लगाने के लिए किसी प्रकार की निगरानी समिति गठित करने से इस उद्योग के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’ वे कहते हैं कि यहां तक कि सरकार से जुड़ी एनएमडीसी ने भी वर्ष 2007 के मध्य में 50 फीसदी तक अपनी अनुबंध कीमतों में बढ़ोतरी की है।


ऐसे में सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण के लिए उठाया गया कोई भी कदम स्टील उत्पादकों के लिए काफी घातक साबित होगा। उन्होंने कहा कि लागत में काफी बढ़ोतरी से पहले से ही उत्पादक सीमांत मूल्य के स्तर पर पहुंच गए है और अब कीमत को नियंत्रित करने के लिए कोई सरकारी कदम उठाए जाते है तो स्टील उत्पादों को जीविकोपार्जन तक का संकट हो जाएगा।


अपने पत्र में रजा ने लिखा है कि सरकार को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार की निगरानी समिति के गठन करने से कई सारी समस्याएं पैदा होंगी। इसके बाद से हर वस्तु की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक रेगुलेटरी गठित करने की मांग होने लगेगी। उन्होंने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि स्टील उत्पादक नहीं चाहते हैं कि उनके लिए कोई रेगुलटरी का गठन किया जाए।

First Published - March 24, 2008 | 11:46 PM IST

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