रबर उद्योग से संबध्द सूत्रों ने बताया कि मांग घटने से प्राकृतिक रबर की कीमतें वर्तमान 1,500 डॉलर प्रति टन से घट कर जनवरी के अंत तक या फरवरी में 1,100 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आने की संभावना है।
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष एम एफ वोहरा ने बताया, ‘देश के प्राकृतिक रबर की खपत में 55 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले टायर उद्योग की मांग साल 2008 के शीर्ष स्तर से घट कर 35 प्रतिशत रह गई है। अब कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई है।’
वोहरा ने कहा, ‘एक महीने पहले कीमतें लगभग 950 डॉलर प्रति टन के आसपास थीं। थाईलैंड, इंडोनेशिया और कोरिया जैसे देशों द्वारा उत्पादन में कटौती किए जाने से कीमतों में तेजी आई थी।’ भारत में इस साल 8,95,000 टन रबर का उत्पादन होगा जो पिछले वित्त वर्ष के 8,70,000 टन से कुछ अधिक है।
स्थिर आपूर्ति और कमजोर होती मांग के कारण पिछली तिमाहियों में कीमतों पर दबाव बना रहा। प्रति किलोग्राम रबर की कीमत लगभग 70 से 72 रुपये थी और एक महीने में इसकी कीमत 55 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ सकती है।
वोहरा ने कहा, ‘रबर उत्पादन की लागत लगभग 40 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपेक्षाकृत स्थिर है। इसलिए उत्पादन में कटौती की संभावना कम नजर आती है क्योंकि कम कीमत के बावजूद उत्पादकों को अच्छा मार्जिन मिल रहा है।’
घरेलू रबर उत्पाद उद्योग की विकास दर चालू वित्त वर्ष के पहले आधे हिस्से में 8-10 प्रतिशत से कम हो गई है और इस वित्त वर्ष में विकास दर पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत कम रह सकती है।
निर्यात सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। कैपेक्सिल के कार्यकारी निदेशक तपन चट्टोपाध्याय ने स्वीकार किया, ‘सितंबर तक निर्यात में 22 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ोतरी हुई। हालांकि, वित्त वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा कम होकर पिछले साल के मुकाबले 10 से 12 प्रतिशत हो सकता है।’
साल 2007-08 में रबर उत्पादों के निर्यात में 32 फीसदी की तेजी आई और यह 1.2 अरब डॉलर का रहा। भारत का रबर उद्योग 30,000 करोड़ रुपये का है।
मंदी की वजह से अमेरिकी और यूरोपीय देशों के बाजारों के संतृप्त हो जाने के बाद कैपेक्सिल अब लैटिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स का रुख कर रहा है।
चट्टोपाध्याय नें कहा, ‘नौ साल पहले लैटिन अमेरिका के साथ हमारा कारोबार जहां एक अरब डॉलर का था वह अब 14 अरब डॉलर का हो गया है। वित्त वर्ष के निर्यात के लक्ष्य पूरे करने और दीर्घावधि के लिए अब हम इन देशों पर अधिक ध्यान देंगे।’
अब ये रबर उत्पादों के खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक आयोजन करने जा रहे हैं जिसमें अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, बेलारुस, ब्राजील, चिली, कजाखस्तान, केन्या भी हिस्सा लेंगे।