केंद्र ने इसी हफ्ते गैर बासमती चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा दिया और उसकी जगह 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगा दिया। कारोबार के सूत्रों के अनुसार इससे केंद्र ने एक तीर से दो शिकार किए।
केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इस्तेमाल होने वाले सस्ते चावल का भारत से निर्यात नहीं हो और दूसरे, चावल की प्रीमियम किस्मों ‘सोना मसूरी’ और ‘गोविंद भोग’ के निर्यात में कोई अड़चन भी न रहे।
सरकार ने इसके एक दिन पहले गैर बासमती चावल निर्यात पर कर कम किया और फिर न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया। गैर बासमती चावल की सबसे ज्यादा निर्यात होने वाली किस्में ‘गोविंद भोग’ और ‘सोना मसूरी’ हैं और इनका वैश्विक बाजार में मूल्य 600 डॉलर प्रति टन से अधिक है। सरकार ने उसना चावल पर निर्यात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया।
बाजार के सूत्रों के अनुसार इस फैसले से भारत की चावल की किस्में थाईलैंड को चुनौती दे सकेंगी। थाईलैंड के 100 फीसदी प्रीमियम उसना चावल का मूल्य 4 सितंबर के 604 डॉलर प्रति टन से गिरकर 25 सितंबर को 583 डॉलर प्रति टन आ गया। इस तरह चावल की इस किस्म के दाम में एक माह के दौरान करीब 4 फीसदी की गिरावट आ गई।
भारत का उसना चावल 20 फीसदी निर्यात कर के साथ 570-600 डॉलर प्रति टन पर बेचा जा रहा था। अब निर्यात कर घटने से थाईलैंड के मूल्य के बराबर आ जाएगा। कारोबारियों के अनुसार भारत आमतौर पर जो उसना चावल बेचता है, उसमें 5 से 25 फीसदी टूटा या टुकड़ा चावल होता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने धान पर निर्यात कर 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया। इसी अनुपात में ब्राउन राइस पर निर्यात कर में कटौती की गई है। इन कारोबारियों के अनुसार इससे नेपाल जैसे देशों को निर्यात सस्ता और सहज हो जाएगा।
कारोबारियों ने टूटे चावल के निर्यात में छूट नहीं दिए जाने पर कहा कि यह अनाज से एथनॉल बनाने वाली देसी कंपनियों और कुक्कुट कारोबारियों को सस्ती व आसान आपूर्ति सुनिश्चित करता है। भारत आमतौर पर बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात करता है।
कारोबारियों के अनुसार गैर बासमती चावल की श्रेणियां टूटा चावल, उसना चावल और सफेद (अरवा) या कच्चा चावल हैं। वित्त वर्ष 23 में कई देश भारत से निर्यात किए जाने वाले चावल के लिए अच्छा रहा। भारत के चावल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी अलग पहचान है। भारत का कुल निर्यात करीब 2.23 करोड़ टन था। इसमें बासमती चावल 45.5 लाख टन और गैर बासमती चावल का निर्यात 177.8 लाख टन था।
गैर बासमती श्रेणी में टुकड़ा चावल का निर्यात करीब 30-40 लाख टन था और शेष चावल में उसना व सफेद चावल का बराबर अनुपात था। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 में चावल का कुल निर्यात गिरकर 1.63 करोड़ टन रह गया और कुल चावल निर्यात में करीब 27 फीसदी की गिरावट आई।
इस अवधि में सरकारी प्रतिबंधों के कारण गैर बासमती खंड अधिक प्रभावित हुआ था।