औषधि विभाग (डीओपी) को उम्मीद है कि वह इस साल अगस्त तक फार्मा मेडटेक में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन (पीआरआईपी) योजना के दूसरे घटक के तहत मंजूरी देना शुरू कर देगा। योजना के तहत उद्योग जगत की चुनिंदा कंपनियों और स्टार्टअप को 4,250 करोड़ रुपये की पूंजी मुहैया कराई जाएगी।
फार्मा सचिव अमित अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि डीओपी इस समय उद्योग के हितधारकों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) के रूप में फीडबैक ले रहा है। इस मसले पर कई बार चर्चा की जाएगी। विभाग ने पिछले सप्ताह पीआरआईपी स्कीम के तहत परियोजना के वित्त पोषण के लिए इच्छुक इकाइयों से अभिरुचि मांगी थी। अग्रवाल ने कहा, ‘हितधारक 7 अप्रैल तक अपनी दिलचस्पी दिखा सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया मई 2025 तक शुरू होने की उम्मीद है।’
इसके लिए साझेदार मंत्रालयों, उद्योग और उद्यम पूंजी (वीसी) और निजी इक्विटी (पीई) हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। अगस्त 2023 में शुरू की गई पीआरआईपी स्कीम का मकसद लाइफसाइंस सेगमेंट में अनुसंधान और विकास के लिए उद्योग-अकादमिक संपर्क को बढ़ावा देना है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक पांच वर्षों के लिए चलने वाली इस योजना के दो प्रमुख घटक हैं- सात राष्ट्रीय औषधि शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों (एनआईपीईआर) में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करना और फार्मा तथा मेडटेक क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप को अनुदान देना। अग्रवाल ने कहा कि सभी सातों एनआईपीईआर ने चालू वित्त वर्ष में अपने-अपने सीओई स्थापित कर लिए हैं तथा अब तक 67 परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है।
उन्होंने कहा कि दूसरे घटक के तहत नई रासायनिक इकाइयों, जटिल जेनरिक और बायोसिमिलर, प्रेसीजन मेडिसिंस, चिकित्सा उपकरण और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के लिए फॉर्मूलेशन सहित छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कंपनियों और स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इन कंपनियों या स्टार्टअप का चयन तीन श्रेणियों के तहत किया जाएगा।