सस्ते आयात से त्रस्त घरेलू कागज उद्योग- लेखन, छपाई और न्यूजप्रिंट- पर निकट भविष्य में कीमतों को कम करने का भारी दबाव बन सकता है।
अभी तक कंपनियों ने पिछले माह की कीमतों को ही बरकरार रखने का निर्णय लिया है। जे के पेपर के उपाध्यक्ष (बिक्री) ए के घोष ने कहा, ‘हमने कीमतों को अपरिवर्तित रखा है। हालांकि, लगाता सस्ते कागज के आयात से हम लोगों को कीमतें कम करने की जरूरत होगी।’
घोष ने बताया कि कोटेड कागज के मासिक आयात में पिछले साल के मुकाबले पांच गुनी बढ़ोतरी हुई है और यह 2,000 टन से बढ़ कर 10,000 टन हो गया है। यह आयातित कागज 16 प्रतिशत का शुल्क लगाए जाने के बावजूद घरेलू कागज के 52,000 रुपये प्रति टन की कीमत की तुलना में 15 फीसदी सस्ता है।
कागज उद्योग आयात पर संरक्षण शुल्क की मांग करता रहा है। देश की सबसे बड़े कागज उत्पादक कंपनी बिल्ट के निदेशक (वित्त) बी हरिहरण ने कहा, ‘चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों द्वारा डंपिंग की संभावनाओं के मद्देनजर कोटेड और अनकोटेड दोनों तरह के कागजों पर संरक्षण शुल्क लगाने की जरूरत है।’
कागज उद्योग आयात पर संरक्षण शुल्क लगाने के लिए सरकार से गुहार लगा चुका है। घोष ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा पर खर्च बढ़ाए जाने के बावजूद कागज की घरेलू मांग में कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘प्रकाशन के विदेशी आउटसोर्सिंग ऑर्डर में कमी आई है। दूसरी तरफ सॉफ्टवेयर और ई-टिकटिंग कारोबार की मांग भी घटी है।’
न्यूजप्रिंट निर्माताओं ने भी पिछली कीमतें बनाए रखने का फैसला किया है। रामा न्यूजप्रिंट ऐंड पेपर्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक वीडी बजाज ने कहा, ‘मिलें इस हालात में नहीं हैं कि कीमतें घटा सकें। अगर कीमतों में आगे कटौती होती है तो मिलों को बंद करना बाध्यता होगी।’ पिछले साल कागज की कीमतों में काफी अस्थिरता देखी गई।
जनवरी 2008 से कीमतों (जीएसएम किस्म की) में लगभग 55 बढ़ोतरी हुई और यह जुलाई सितंबर की तिमाही में 40,000 से 42,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं। इससे प्रकाशनों के मार्जिन पर भारी दवाब देखा गया।
अक्टूबर से कीमतों में नरमी आने लगी। वर्तमान में कीमतें 24,000 से 26,000 रुपये प्रति टन हैं। आयातित न्यूजप्रिंट की कीमत भी आयात शुल्क समाप्त होने के बाद इसी दायरे में है। आयातित न्यूजप्रिंट की हिस्सेदारी 16 लाख टन की वार्षिक खपत में 50 फीसदी की है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आती है तो आयातित कागज और सस्ता हो सकता है।