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तेल के दाम 14 माह के शीर्ष पर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:25 AM IST

तेल की कीमतों में आज 1 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ और इसके साथ ही दाम करीब 14 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ओपेक और इसके सहयोगी देश कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर मांग में और अधिक ठोस सुधार होने तक इंतजार करने की बात कहकर आपूर्ति नहीं बढ़ाने पर सहमत हुए हैं जिससे दाम में यह वृद्घि हुई है।
मई के लिए ब्रेंट क्रूड वायदा आज बढ़कर 68 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। 8 जनवरी, 2020 के बाद से यह स्तर नजर नहीं आया था। 0730 जीएमटी पर कॉन्ट्रैक्ट 1.09 डॉलर या 1.6 फीसदी ऊपर की ओर चढ़कर 67.83 डॉलर प्रति बैरल रहा और हफ्ते में करीब 3 फीसदी चढऩे की ओर था। अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड वायदा 93 सेंट या 1.5 फीसदी चढ़कर 64.76 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। इससे पहले इसी सत्र में यह 64.94 डॉलर के उच्चतम स्तर को छू गया था।
पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) और सहयोगी देशों की ओर से उत्पादन कटौती को अप्रैल तक बढ़ाने के निर्णय के बाद गुरुवार को दोनों कॉन्टै्रक्ट 4 फीसदी से अधिक चढ़े थे। रूस और कजाकिस्तान को इस निर्णय से आंशिक छूट दी गई है।
ओपेक और उसके सहयोगी देशों को मिलाकर ओपेक प्लस कहा जाता है। कोटक सिक्योरिटीज में जींसों के उपाध्यक्ष रवींद्र राव ने कहा, ‘ओपेक प्लस ने उत्पादन को मौजूदा स्तर पर बनाए रखकर संकेत दिया है कि वह उत्पादन को सामान्य करने को लेकर सावधानी बरत रहा है।’    
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक मांग में सुधार होने से उत्पादन में स्थायी वृद्घि को समाहित किया जा सकता है और कीमत पर बहुत अधिक नकारात्मक असर नहीं होने की उम्मीद है। चिंता की बात केवल तभी होगी जब उच्च कीमतों की प्रतिक्रिया में अमेरिकी उत्पादन में वृद्घि होगी।’
निवेशक इस बात से आश्चर्य में है कि पिछले दो महीने से कीमतों में इजाफा होने के बावजूद सऊदी अरब ने 10 लाख बैरल प्रतिदिन के अपने ऐच्छिक स्तर को बनाए रखने का निर्णय लिया है।
सिटीग्रुप के जिंस विश्लेषकों ने एक टिप्पणी में कहा, ‘कई सारे कारकों ने मिलकर सभी पक्षों को एक साथ खड़ा कर दिया लेकिन इसके परिणामस्वरूप कीमत वृद्घि निश्चित तौर पर उन्हें अगली बैठक में अपने निर्णय में बदलाव करने के लिए प्रेरित करेगा। इनकी अगली बैठक 1 अप्रैल, 2021 को होने वाली है।’    
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रॉयटर्स से आज कहा कि ओपेक प्लस देशों का उत्पादन के कटौती को जारी रखने के निर्णय से तेल खरीद करने वाले देशों में उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंच सकता है।
आईएनजी में जिंस रणनीति के प्रमुख वारेन पैटरसन ने कहा, ‘एक ओर जहां ओपेक प्लस देशों को तेल बाजार के लिए आधारभूत चीजों में सुधार नजर आ रहा है वहीं वे इस बात को लेकर भी सचेत हैं कि मांग परिदृश्य में अभी भी पर्याप्त अनिश्चितता है और इतनी सावधानी बरतने के दृष्टिकोण में यही बात नजर आ रही है।’
 उन्होंने कहा, ‘एक और बात है जिसको लेकर ओपेक प्लस देश यह नहीं मानते कि अमेरिकी तेल उत्पाद उच्च कीमत पर कोई प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगा, कम से कम हाल के समय में ऐसा होने के आसार उन्हें नजर नहीं आ रहे हैं।’
विश्लेषक अब अपनी कीमत अनुमान की फिर से समीक्षा कर रहे हैं जिसमें ओपेक प्लस देशों द्वारा तेल में कटौती करने के निर्णय से उत्पन्न दबाव का असर नजर आएगा।
गोल्डमैन सैक्स ने अपने ब्रेंट कीमत अनुमान में इस साल की दूसरी तिमाही में 5 डॉलर से 75 डॉलर प्रति बैरल और तीसरी तिमाही में 80 डॉलर प्रति बैरल की वृद्घि की है। जबकि यूबीएस ने ब्रेंट के लिए अपने अनुमान में 2021 की दूसरी छमाही में 75 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई के लिए 72 डॉलर प्रति बैरल की वृद्घि की है।

First Published - March 5, 2021 | 11:32 PM IST

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