देश से खली निर्यात में सुस्ती देखी जा रही है। वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जनवरी अवधि में खली निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी महीने में भी खली निर्यात घटा है। पिछले वित्त वर्ष देश से खली का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था। खली का कुल निर्यात भले घटा हो, लेकिन सोया खली के निर्यात में इजाफा हुआ है।
चालू वित्त वर्ष में भारतीय खली की निर्यात मांग में कमी देखने को मिल रही है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024-25 के अप्रैल-जनवरी अवधि में देश से 36.03 लाख टन खली का निर्यात हुआ, जो वर्ष 2023-24 की समान अवधि में निर्यात हुई 39.74 लाख टन खली से 9 फीसदी कम है। जनवरी महीने के दौरान खली के निर्यात में 5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। जनवरी में 4.52 लाख टल खली का निर्यात हुआ, पिछले साल जनवरी में यह आंकड़ा 4.77 लाख टन था।
भारतीय खली निर्यात में कमी की वजह सरसों और अरंडी खली की निर्यात मांग सुस्त पड़ना है। साथ ही पिछले साल जुलाई से डी-ऑयल्ड राइस ब्रान ( De-oiled Rice Bran ) के निर्यात पर रोक लगने का असर भी खली निर्यात में कमी के रूप में दिख रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में सरसों खली का निर्यात 18.62 फीसदी घटकर 15.42 लाख टन रह गया, जबकि अरंडी खली के निर्यात में इस दौरान करीब 21 फीसदी गिरावट आई और इस अवधि में 2.58 टन अरंडी खली निर्यात हुई।
इस बीच, कुल खली निर्यात में भले गिरावट आई हो। लेकिन सोया खली का निर्यात बढ़ रहा है। इसकी जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों से खरीद बढ़ना है। वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जनवरी अवधि में 17.71 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ। पिछली समान अवधि में 15.86 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ था। इस तरह चालू वित्त वर्ष के 10 महीने में सोया खली के निर्यात में करीब 11 फीसदी इजाफा हुआ है। पिछले वित्त वर्ष रिकॉर्ड 21.33 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ था।