घरेलू बाजार में लौह अयस्क की मांग में अगर गिरावट का रुख जारी रहा तो सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी एनएमडीसी उत्पादन घटा सकती है।
इस्पात सचिव पी.के. रस्तोगी ने आज कहा, ‘ अक्तूबर-नवंबर के दौरान एनएमडीसी के लौह अयस्क का उठाव (बिक्री) 30 फीसदी तक घट गया और यदि गिरावट का यह रुख जारी रहा तो कंपनी अपनी खानों से उत्पादन घटा सकती है।’
यद्यपि नवरत्न कंपनी एनएमडीसी द्वारा उत्पादन में तत्काल कटौती की उन्होंने पुष्टि नहीं की, लेकिन कहा यह पूरी तरह से मांग के रुख पर निर्भर करेगा।
रस्तोगी ने कहा, ‘एनएमडीसी अपनी क्षमता के मुताबिक उत्पादन जारी रखेगी, लेकिन अगर उठाव में गिरावट का रुख कायम रहा तो कंपनी के पास कच्चे माल के भंडार के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगी और उसे उत्पादन घटाना पड़ेगा।’
एनएमडीसी सालाना 3 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है और 35 लाख टन का निर्यात करती है। शेष की खपत घरेलू इस्पात उत्पादकों जैसे आरआईएनएल, एस्सार, जेएसडब्ल्यू और इस्पात इंडस्ट्रीज द्वारा की जाती है।
वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण पिछले कुछ महीनों में इस्पात की मांग में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।
अधिकांश घरेलू इस्पात उत्पादक कंपनियों ने उत्पादन में कटौती की है और एनएमडीसी से लौह अयस्क की खरीदारी कम कर दी है। लौह अयस्क की मांग बढ़ाने के लिए भारतीय खानों ने दीर्घावधि के करारों की कीमतें 1 दिसंबर से 25 फीसदी घटा दी है।
हालांकि, इस्पात कंपनियां चाहती हैं कि एनएमडीसी कीमतों में एक अप्रैल से कटौती को प्रभावी करे जब इसने मूल्यों में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी।