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मौसम की बेवफाई कहीं उड़ा न दे हिमाचल के सेब की लाली

Last Updated- December 10, 2022 | 7:25 PM IST

मौसम की बेरुखी की मार सेब पर भी पड़ने जा रही है। एक दशक में यह जाड़ा सबसे गर्म और सूखा रहा है।
अगर 2 सप्ताह के भीतर बारिश नहीं हुई तो हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नकदी फसल सेब पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। बर्फबारी के साथ लगातार ठंडा मौसम सेब के पौधों के लिए बेहतर माना जाता है।
स्थानीय मौसम कार्यालय के मुताबिक इस साल का जाड़ा पिछले एक दशक की तुलना में सबसे गरम और सूखा रहा। इसके चलते सेब का उत्पादन करने वाले किसान खासे निराश हैं।
हिमाचल सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष लेखराज चौहान का कहना है, ‘यह मौसम सूखा गुजरा है। बर्फबारी भी यदा-कदा ही हुई है। अगर आगामी दो सप्ताह में बारिश होती है, तो सेब के पेंड़ों के बढ़ने के आसार हैं और इससे कुछ क्षतिपूर्ति हो जाएगी।’
चौहान ने कहा कि हाल के वर्षों में मौसम बहुत ही अनिश्चित रहा है। वैश्विक तापमान इस फसल के लिए सबसे बुरी खबर है, जिसमें सेब जैसी फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। सेब की खेती करने वाले महिंदर ठाकुर ने कहा कि सूखा मौसम होने के चलते पेंड़ों की कलियां बहुत ही कमजोर हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि पेंड़ बहुत ही कमजोर होंगे। ऐसा लग रहा है कि इस साल फसल बहुत ही कमजोर होगी।
अप्रैल महीने में सेब के पेंड़ों पर गुलाबी फूल आने लगते हैं, उसके बाद फल लगने शुरू होते हैं। सेब की फसल जुलाई और अक्टूबर के शुरुआत तक रहती है। उसके बाद फसल ऊंची पहाड़ियों पर ही होती है।
ठाकुर ने कहा कि निचली पहाड़ियों पर फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं और किसान इससे निश्चित रूप से निराश हैं। पिछले साल में राज्य में 5.10 लाख टन सेब का उत्पादन हुआ था। हिमाचल प्रदेश में देश के बेहतरीन सेबों का उत्पादन होता है। देश के कुल सेब उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी एक तिहाई है। इसके अलावा शेष सेब उत्पादन पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर में होता है।

First Published - March 9, 2009 | 5:30 PM IST

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