प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर बुधवार को आरएसएस की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रतिबंधों और साजिशों के बावजूद संगठन ने कभी कटुता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि आरएसएस आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने और एक समावेशी समाज का संदेश फैलाने के लक्ष्य के साथ देश के कोने-कोने तक पहुंचा है। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी और इसके संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल गए थे।
प्रधानमंत्री ने आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। 100 रुपये के सिक्के पर एक तरफ राष्ट्रीय चिह्न है और दूसरी तरफ सिंह पर सवार ‘भारत माता’ की छवि दर्शाई गई है। मोदी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय मुद्रा पर ‘भारत माता‘ की छवि अंकित की गई है, जो अत्यंत गौरव और ऐतिहासिक महत्व का क्षण है।
इस बीच, माकपा ने आरएसएस पर डाक टिकट और सिक्का जारी होने पर तल्ख प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने कहा कि आरएसएस की स्थापना की शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी करना संविधान पर ‘गंभीर चोट और उसका अपमान’ है। माकपा के पोलित ब्यूरो ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक है कि एक आधिकारिक सिक्के पर आरएसएस द्वारा प्रचारित हिंदू देवी ‘भारत माता’ की छवि अंकित है और 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में वर्दीधारी आरएसएस स्वयंसेवकों को दिखाने वाला डाक टिकट भी गलत इतिहास को दर्शाना है।
दूसरी तरफ, आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आरएसएस ने पिछले 100 वर्षों से विरोध के बावजूद जनता के स्नेह के कारण,सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बनने का प्रयास किया है। होसबाले की यह टिप्पणी मोदी द्वारा संघ की शताब्दी के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और एक सिक्का जारी करने से कुछ देर पहले आई। उन्होंने इस कदम के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह संघ के ‘निःस्वार्थ’ कार्यों की सराहना एवं सम्मान देने जैसा है।