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बेहतर मानसून का असर: खरीफ बुआई का रकबा 708 लाख हेक्टेयर के पार, धान और मोटे अनाज ने दिखाई बढ़त

चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई की रफ्तार पिछले खरीफ सीजन के मुकाबले करीब 4% अधिक है। देश में 18 जुलाई तक इस सीजन के फसलों की करीब 65 फीसदी बुवाई हो चुकी है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- July 22, 2025 | 5:15 PM IST

देश में बेहतर मानसून के सक्रिय होने का असर खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई पर देखने को मिल रहा है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू सीजन में खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा इस वर्ष अब तक बढ़कर 708.31 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह रकबा 580.38 लाख हेक्टेयर था।

चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई की रफ्तार पिछले खरीफ सीजन के मुकाबले करीब चार फीसदी अधिक है। देश में 18 जुलाई तक इस सीजन के फसलों की करीब 65 फीसदी बुवाई हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक खरीफ सीजन के फसलों का कुल रकबा 1096.65 लाख हेक्टेयर आंका गया है। बेहतर मानसूनी बारिश के कारण देश के असिंचित क्षेत्रों में बुवाई आसान हो गई है, जो देश की लगभग 50 फीसदी कृषि भूमि है, जिससे चालू सीजन में बुवाई का रकबा बढ़ा है।

धान और मोटे अनाज का अच्छा प्रदर्शन

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष 18 जुलाई तक धान की बुवाई का रकबा 176.68 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में 12.38 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष इसी अवधि में यह रकबा 157.21 लाख हेक्टेयर था।  वहीं मोटे अनाज के रकबे में  भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल की तुलना में इस बार 133.65 लाख हेक्टेयर में इनकी बुआई हुई है, जो कि 13.59 फीसदी की बढ़ोतरी है। खासतौर पर मोंठ (Moth Bean) की बुवाई 52.66 प्रतिशत बढ़ी है।

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तुअर की बुवाई में पिछड़ी

दालों की खेती में इस बार कुल 81.98 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 2.3 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, अरहर (तुअर) की बुआई में 5.08 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट चिंताजनक मानी जा रही है, क्योंकि अरहर दाल की घरेलू मांग बहुत ज्यादा है।

इसके उलट मूंग की बुआई में 11.39 प्रतिशत और कुल्थी में 11.32 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। इसके अलावा उड़द की बुवाई में 12.48 फीसदी की गिरावट आई है।  तुअर और उड़द जैसी जरूरी दालों की बुवाई में आई गिरावट आने वाले महीनों में बाजार में दालों की कीमतों पर असर डाल सकती हैं। हालांकि, आने वाले समय में अंतिम बुवाई आंकड़े ही मायने रखेंगे।

तिलहन फसलों की बुआई में गिरावट

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, तिलहन फसलों की कुल बुआई में 3.71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा गिरावट सोयाबीन (6.13 प्रतिशत) और नाइजर सीड (90 प्रतिशत) में देखने को मिली। हालांकि, मूंगफली की बुवाई में 2.31 फीसदी और तिल (सेसमम) में 8.22 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। कैस्टर सीड (आरंडी)  ने 53.89 प्रतिशत की छलांग लगाई है।

गन्ने का रकबा भी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 54.88 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 55.16 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, कपास की बुआई में भी 3.42 फीसदी की गिरावट देखी गई, जबकि गन्ने में 0.52 प्रतिशत की मामूली बढ़त दर्ज की गई है। जूट और मेस्ता की बुआई में भी हल्की कमी दर्ज हुई है।

बुवाई के रकबे में बढ़ोतरी बेहतर उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी। तिलहनों की घटती बुवाई खाद्य तेल आयात को बढ़ा सकती है।

First Published : July 22, 2025 | 5:05 PM IST