अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण रबर की दिन ब दिन गिरती कीमत केरल की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है क्योंकि भारत केकुल रबर उत्पादन में केरल की भागीदारी करीब 92 फीसदी है।
जब रबर की कीमत 130-150 रुपये प्रति किलो के स्तर पर थी तब यहां रबर का सालाना कारोबार करीब 11 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन अब स्थिति काफी बदल चुकी है।
कोचीन रबर मचर्ट असोसिएशन के सूत्रों के मुताबिक, रुपये के लिहाज से रबर का कारोबार 5 हजार करोड़ रुपये तक सिमट चुका है क्योंकि इसकी कीमतें 60-80 रुपये प्रति किलो तक आ गई है।
रबर की गिरती कीमत राज्य की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा रही है क्योंकि मंदी के चपेट में आ चुके रबर के कारोबार में भारी गिरावट के चलते राज्य को बतौर टैक्स करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
सूत्रों ने कहा कि सामान्य तौर पर रबर उत्पादक अपनी कुल आय का बड़ा हिस्सा राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में खर्च करते हैं यानी वे अपनी आय का बड़ा हिस्सा राज्य में ही खर्च करते हैं।
रबर के कुल उत्पादन का करीब 60 फीसदी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस्तेमाल करती है और इसकी खपत का कुल आंकड़ा करीब 8.9 लाख टन का बैठता है।
असोसिएशन के अध्यक्ष एन. राधाकृष्णन ने बताया कि ऑटो इंडस्ट्री की रफ्तार काफी हद तक थमने की वजह से वहां प्राकृतिक रबर की खपत काफी कम हो गई है।
उन्होंने कहा कि नवंबर महीने में इस उद्योग ने कुल खपत का 5-6 फीसदी ही बाजार से खरीदा। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में यह प्रतिशत बढ़कर 20 तक पहुंचेगा।
अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो फिर रबर के निर्यात पर भी इसका असर पड़ना तय है क्योंकि जापान जैसी अर्थव्यवस्था भी मंदी की चपेट में है। फिलहाल चीन प्राकृतिक रबर का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसके बाद अमेरिका व जापान का नंबर आता है।
केरल रबर उत्पादक संघ के अध्यक्ष ने बताया कि रबर की कीमत दरकने की वजह से छोटे और मीडियम उत्पादक पर काफी ज्यादा असर पड़ा है क्योंकि ये किसान 5.5 लाख हेक्टेयर इलाके में रबर की खेती करते हैं।
उन्होंने कहा कि रबर उत्पादक और इसके कारोबारी चाहते हैं कि राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार इसकी खरीद करे और इसका बफर स्टॉक बनाकर रखे।
साथ ही निर्यात के लिए कुछ सहायता भी उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि रबर आयात पर ड्यूटी बढ़ाकर भी सरकार किसानों की मदद कर सकती है। हालांकि रबर बोर्ड का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मंदी का सबसे कम असर रबर उद्योग पर पड़ा है। बोर्ड का कहना है कि राज्य की अर्थव्यवस्था अब भी मजबूत है।