उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने आज कहा कि भारत विश्व में मसूर दाल का सबसे बड़ा उत्पादक बनने की राह पर है। फसल वर्ष 2023-24 में मसूर का उत्पादन बढ़कर करीब 16 लाख टन होने का अनुमान है।
अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो 2023-24 में भारत का मसूर उत्पादन 2017-18 के बाद सर्वाधिक होगा। वर्ष 2017-18 में मसूर का घरेलू उत्पादन करीब 16.2 लाख टन था।
सिंह ने कहा, ‘विश्वास है कि हमारा इस साल विश्व में मसूर उत्पादन सर्वाधिक होगा।’ सिंह ने फरवरी में भारत में आयोजित की जाने वाले वैश्विक दाल संगोष्ठी (जीपीसी) के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अधिकारियों ने बताया कि मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अधिक इजाफा किया गया है। वर्ष 2020-21 में मसूर का समर्थन मूल्य 5100 रुपये प्रति क्विंटल था। इसे 2024-25 (विपणन वर्ष) के लिए 26 प्रतिशत बढ़ाकर 6425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।
इससे किसानों की रुचि मसूर की खेती में फिर से बढ़ी। अभी मसूर का मार्केट मूल्य करीब 6100 से 6125 रुपये प्रति क्विंटल है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है। हालांकि कुछ महीने पहले मसूर का मूल्य 7500-8000 रुपये प्रति क्विंटल था। इससे भी किसान मसूर की फसल लगाने के लिए प्रेरित हुए होंगे।
5 जनवरी तक मसूर की फसल 19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगाई गई थी। यह बीते साल की तुलना में 4.40 प्रतिशत अधिक थी। कारोबार के सूत्रों के अनुसार कनाडा ने शुरुआती दौर में करीब 16.7 लाख टन उत्पादन का अनुमान जताया था। लिहाजा कनाडा ने भारत से अधिक उत्पादन का अनुमान जताया था।
लेकिन बाद में कनाडा ने अनुमान 30 प्रतिशत घटा दिया था। इससे भारत पहले स्थान पर आ गया। वैश्विक बाजार में ऑस्ट्रेलिया भी प्रमुख उत्पादक देश है। वर्ष 2023-24 में ऑस्ट्रेलिया का मसूर उत्पादन 14 लाख टन होने का अनुमान है। कनाडा से हाल में राजनयिक विवाद के दौरान भारत के लिए मसूर प्रमुख दाल बनकर उभरी।