फलों का राजा कहा जाने वाला आम इस बार आम आदमी की पहुंच से दूर ही रहने वाला है।
अपने बेहतरीन जायके के लिए याद किया जाने वाले हापुस आम की पैदावर कम होने के कारण इसकी कीमत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार हापुस का स्वाद चखने के लिए करीबन दोगुनी रकम अदा करनी पड़ रही है।
हापुस आम की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की वजह बेमौसम हुई बरसात के कारण फसल का नष्ट होना बताया जा रहा है। इस बार हापुस आम की पैदावार करीबन 70 फीसदी तक कम होने की आशंका जताई जा रही है।
हापुस का मीठा स्वाद चख पाने से इस बार आम आदमी महरूम रहना पड़ सकता है। पैदावार कम होने से इसकी कीमतें आसमान छूती ही दिखाई देंगी। रिकॉर्ड तोड़ हापुस की कीमतों के बारे में सेव कोकर्ण लिमिटेट के दिलीप सिरके कहते हैं कि इस बार हापुस की कुल 30 फीसदी ही पैदावार होने की उम्मीद है।
फसल कम होने के कारण बाजार में हापुस की आवक कम है और मांग ज्यादा है जिससे कीमतें ज्यादा हैं। सिरके के मुताबिक आमतौर पर हापुस जनवरी तक बाजार में आ जाता था लेकिन इस बार करीबन एक महीने के बाद बाजार में आ पाया है जिससे हापुस की मांग लोगों के बीच और भी ज्यादा बढ़ गई है।
तकरीबन एक महीने के बाद बाजार में हापुस की कीमतें लगभग 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं। लेकिन अभी तो इसकी कीमत आसमान की तरफ उछालें मारती ही दिखाई दे रही हैं। थोक मंडी में हापुस की गुणवत्ता के आधार पर 400 से 600 रुपये प्रति दर्जन के हिसाब से बिक्री हो रही है,जबकि पिछले साल हापुस 150 रुपये प्रति दर्जन बेचा जा रहा था।
वहीं खुदरा बाजार में यही आम 500 से 900 रुपये प्रति दर्जन के भाव से बिक रहे हैं। पेटी के हिसाब से अगर बात की जाए, तो 1,200 रुपये से लेकर 3,200 रुपये प्रति पेटी के भाव से हापुस आम बिक रहा है ।
एक पेटी में चार दर्जन आम होते हैं। पिछले साल यही आम 800 रुपये से 1,800 रुपये प्रति पेटी था। हापुस आम की पैदावार कम होने की मुख्य वजह दिसंबर-जनवरी महीने में हुई बरसात को माना जा रहा है, जिसके चलते हापुस की पैदावार खराब हो गई। बरसात की वजह से आम की फसल को इस बार बहुत नुकसान पहुंचा।
मुंबई में हापुस के थोक व्यापारियों के अनुसार इस बार कोंकण क्षेत्र में हापुस आमों के दो बार फूल (बौर) आए थे जिससे किसानों के साथ-साथ कारोबारी भी खुश थे लेकिन बरसात और कीड़ा लगने से हापुस की पैदावार खराब हो गई। इसके बाद से किसानों की हालत भी खराब है और कारोबारियों के चेहरों पर भी मायूसी छा गई है।
इतना ही नहीं, निर्यातकों पर सबसे ज्यादा मार पड़ रही है। इस बार उन्हें अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, जो बरसात के बाद अब धरी की धरी ही रह गई है। दरअसल हापुस आज भारतीय आमों का ब्रांड एंबेसडर बन गया है। विदेशों में सबसे ज्यादा हापुस आम की ही मांग होती है।
हापुस की बुकिंग आज विदेशों में ऑन लाइन भी की जाती है जिसके चलते कोंकण क्षेत्र के किसान, हापुस आम के बाग मालिकों के साथ कारोबारी भी अच्छा पैसा कमा लेते हैं लेकिन इस बार सबको निराशा हाथ लगने वाली है। महाराष्ट्र में हापुस की सबसे ज्यादा पैदावार कोंकण इलाके के रत्नागिरी जिले में होती है। रायगढ़, देवगढ़, सिंधुदुर्ग, ठाणे में भी यह आम होता है।
खास के लिए ही रहा आम
हापुस आम की कीमतें आसमान पर
70 फीसदी कम और देर से हुआ उत्पादन
बेमौसम बरसात की वजह से फसल हुई खराब
कोंकण इलाके के आम उत्पादकों को नुकसान
थोक बाजार में 600 से 900 रुपये प्रति दर्जन के हिसाब से बिक रहा है हापुस आम
विदेश में भी अच्छी खासी मांग है हापुस आम की