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कपास उत्पादन में पिछड़ सकता है गुजरात

Last Updated- December 11, 2022 | 10:38 AM IST

कपास के अत्यधिक उत्पादन के मामले में गुजरात इस साल अपना प्रथम स्थान खो सकता है।
अपेक्षाकृत कम कपास उत्पदन और नकली बीटी कपास बीजों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण अनुमान है कि गुजरात में कपास की उपज में इस साल भारी कमी आएगी। दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश साल 2008-09 की प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में गुजरात से आगे निकल सकते हैं।
औद्योगिक आकलनों के मुताबिक साल 2008-09 में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य गुजरात में कपास की प्रति हेक्टेयर उपज घट कर 633 किलोग्राम होने के आसार है जबकि साल 2007-08 में प्रति हेक्टेयर उपज 786 किलोग्राम थी।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में गुजरात में कपास का रकबा पिछले वर्ष के 24.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में मामूली रूप से कम, 24.17 लाख हेक्टेयर है। हालांकि, साल 2008-09 में उत्पादन 90 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि साल 2007-08 में यह लगभग 112 लाख गांठ था।
इस वर्ष गुजरात अपना प्रथम स्थान खो सकता है और इसकी जगह तमिलनाडु या आंध्र प्रदेश जैसे राज्य ले सकते हैं जहां कपास की प्रति हेक्टेयर उपज क्रमश: 708 क्रिलोग्राम और 670 किलोग्राम होने की उम्मीद है।
अहमदाबाद स्थित अग्रणी कपास कारोबारी कंपनी अरुण दलाल ऐंड कंपनी के मालिक अरुण दलाल ने बताया, ‘अपेक्षाकृत कम उत्पादन के अलावा नकली बीटी कपास बीजों के इस्तेमाल की वजह से कपास की उपज में कमी आई है।’

First Published - May 7, 2009 | 9:55 PM IST

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