घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में स्थिरता के कारण सरकार इस रबी फसल के दौरान गेहूं की खरीदारी कर उसके भंडारण को और मजबूत करने की योजना बना रही है।
रौलर फ्लोर मिर्ल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा कहती है, पिछले एक साल से गेहूं के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं दर्ज की गई है। गेहूं की कीमत 1120-1130 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर है। गत वर्ष अप्रैल-मई के दौरान जिन लोगों ने इस उम्मीद से गेहूं की खरीदारी की कि उन्हें एक साल बाद इससे अच्छी कमाई होगी, उल्टा उन्हें 30 से 40 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ा। क्योंकि उनके अनुमान के मुताबिक मूल्य में बढ़ोतरी नहीं हो पायी।
इस साल लोग इस प्रकार का अनुमान कम ही लगाएंगे। एफसीआई ने इस महीने अबतक 20,000 टन गेहूं की खरीदारी की है। यह खरीदारी गुजरात व हरियाणा से की गई है। पंजाब व हरियाणा से यह खरीदारी आगामी एक अप्रैल से शुरू की जाएगी। इस साल एक अप्रैल को गेहूं के मामले में एफसीआई का सुरक्षित भंडार 53 लाख टन का हो जाएगा। जो आम दिनों के सुरक्षित भंडार के मुकाबले 32.5 फीसदी अधिक होगा। अमूमन एफसीआई के पास गेहूं का सुरक्षित भंडार 40 लाख टन का होता है।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल गेहूं का उत्पादन 7.50 करोड़ टन होगा। एफसीआई के चेयरमैन एवं एमडी आलोक सिन्हा ने बताया कि जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत में दोगुनी की बढ़ोतरी हो चुकी है वही घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत लगभग स्थिर है। गेहूं की कीमत में मात्र 2 से 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इससे साफ जाहिर है कि घरेलू बाजार में गेहूं की उपलब्धता काफी अधिक है। इसका मतलब यह है कि इस बार फिर से गेहूं की खरीद के मामले में सट्टेबाजों की नहीं चलेगी और इससे सरकार को गेहूं खरीद में मदद मिलेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार के अलावा गेहूं की सबसे अधिक खरीद आईटीसी व ब्रिटानिया जैसी एफएमसीजी कंपनियां करेगी। शक्ति भोग के चेयरमैन एवं एमडी केके कुमार ने बताया कि हम अपने फ्लोर मिल्स की दो महीनों की जरूरतों की पूर्ति के लिए गेहूं की पर्याप्त मात्रा में खरीदारी करेंगे। इस खरीदारी के समाप्त होने के बाद हम खुले बाजार से गेहूं की खरीदारी करेंगे। माना जा रहा है कि गेहूं के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के बाद गेहूं के दामों में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है।
गेहूं का समर्थन मूल्य 750 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। अगर कोई व्यापारी 1000 से 1030 रुपये प्रति क्विंटल की खरीदारी मंडी में जाकर करता है तो उसे 170 रुपये प्रति क्विंटल मंडी शुल्क व यातायात शुल्क के रूप में खर्च करने पड़ेंगे।