अरहर की सरकारी खरीद अब रफ्तार पकड़ने लगी है। सरकार ने बजट 2025 में घोषणा की है कि देश में दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राज्य के उत्पादन का 100 फीसदी तक तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से अगले चार वर्षों तक जारी रखी जाएगी। देश में वर्ष 2024-25 में अरहर का उत्पादन 35.11 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2023-24 में यह 33.85 लाख टन था। 2024-25 में मसूर का उत्पादन 18.17 लाख टन और चना का उत्पादन 115.35 लाख टन रहने का अनुमान है।
अब तक कितनी हुई अरहर की सरकारी खरीद?
केंद्र सरकार ने पिछले महीने 13.22 लाख टन अरहर न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत खरीदने को मंजूरी दी थी। यह मंजूरी आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों के लिए दी गई थी। आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में खरीद शुरू हो चुकी है। कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 11 मार्च तक इन राज्यों में कुल 1.31 लाख टन अरहर की खरीद की गई है। जिससे इन राज्यों के 89,219 किसान लाभान्वित हुए हैं। अन्य राज्यों में भी तुअर की खरीद जल्द ही शुरू होगी। अरहर की खरीद नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से भी की जाती है। केंद्र सरकार ने अरहर के अलावा 9.40 लाख टन मसूर और 1.35 लाख टन उड़द की सरकारी खरीद को भी मंजूरी दी है।
पीएम-आशा योजना 2025-26 तक जारी रहने को भी मिल चुकी है मंजूरी
भारत सरकार ने एकीकृत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी। एकीकृत पीएम-आशा योजना खरीद कार्यों के कार्यान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाने के लिए संचालित की जाती है जो न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करके आवश्यक वस्तुओं की कीमत में अस्थिरता को भी नियंत्रित करेगी। पीएम-आशा योजना की मूल्य समर्थन योजना के तहत निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के अनुरूप अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा राज्य स्तरीय एजेंसियों के माध्यम से पूर्व-पंजीकृत किसानों से सीधे एमएसपी पर की जाती है।