शुद्ध सोने की कीमत 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंचने से ग्राहक बाजार से गायब हो गए हैं। महज एक महीने के दौरान मुंबई के जवेरी बाजार में सोने का भाव 10 फीसदी बढ़कर करीब 68,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। मुंबई हाजिर बाजार में सोना 15 से 20 डॉलर प्रति औंस यानी 400 से 550 रुपये प्रति 10 ग्राम की भारी छूट पर मिल रहा है क्योंकि पिछले एक महीने के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।
यहां तक कि मार्च में सोने का आयात भी तेजी से घट गया जो फरवरी में करीब 100 टन रहा था। उद्योग के आकलन के अनुसार, मार्च में बमुश्किल 25 टन सोने का आयात किया गया। ऐसे में ज्वैलर्स की नजर अब मई के पहले सप्ताह में पड़ने वाली अक्षय तृतीया और वैवाहिक मांग पर टिक गई है। अगर सोने की कीमतों में गिरावट आई और आभूषण विनिर्माण प्रभावित हुआ तो मांग को पूरा करने के लिए ज्वैलर्स पहले से ही तैयारी कर रहे हैं। चुनाव आचार संहिता के दौरान सतर्कता बढ़ने से सोने की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।
सर्राफा उद्योग के सलाहकार भार्गव वैद्य ने कहा, ‘भारत में शादी-विवाह के लिए सोने की मांग स्थिर बनी हुई है अथवा मूल्य के लिहाज से उसमें कुछ वृद्धि दिख सकती है। मगर कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण मात्रात्मक मांग में गिरावट आई है। मौजूदा मूल्य स्तर पर मांग का रुझान फिलहाल जारी रहेगा।’
करीब एक दशक पहले सोने की कीमत 28,430 रुपये प्रति 10 ग्राम थी और वह 9.2 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न दे रही थी। यह दमदार रिटर्न धीरे-धीरे बाजार में मांग का परिदृश्य बदल रहा है।
इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने भी सहमति जताई कि ग्राहक अभी बाजार से दूरी बना रहे हैं। मगर उन्होंने कहा, ‘सोने के आभूषणों की मांग धीरे-धीरे सिक्कों व बार एवं अन्य निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रही है।’
एक तरीके से यह महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक आकर्षित करने लगी है। कुल मांग के संदर्भ में आभूषणों की मांग अभी भी अधिक है। मगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (गोल्ड ईटीएफ) ने निवेशकों को एक अच्छा विकल्प प्रदान किया है। जहां तक सोने के आभूषणों का सवाल है तो बढ़ती कीमतों के मद्देनजर ग्राहक अब कम कैरेट वाले आभूषणों को खरीदना पसंद करने लगे हैं। ऐसे में मात्रा के लिहाज से सोने की मांग प्रभावित हो रही है।
मेहता का मानना है कि आगे चलकर सोने की रिकॉर्ड कीमतों का व्यापक प्रभाव दिखेगा। उन्होंने कहा, ‘कीमतों में जबरदस्त तेजी के कारण मांग प्रभावित होने से अधिकतर लोग सोने को निवेश के साधन के रूप में देखेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि सोना एक मूल्यवान संपत्ति के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।’
वैद्य ने भी इससे सहमति जताई। उन्होंने कहा कि कीमतों में 10 से 15 फीसदी के उतार-चढ़ाव के साथ सोने का मूल्य बढ़ रहा है। ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 10 से 15 फीसदी जगह सोने को देना चाहिए।
सोने की जबरदस्त मांग का अगला बड़ा अवसर मई के पहले सप्ताह में पड़ने वाली अक्षय तृतीया है। ज्वैलर अक्षय तृतीया के दौरान अपने स्टॉक को खपाने की तैयारी कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि अक्षय तृतीया से पहले कीमतों में कुछ नरमी आए। बाजार के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें घटकर 2,100 डॉलर के आसपास आती हैं तो ग्राहक बाजार की ओर लौटने लगेंगे।
ऊंची कीमतें ज्वैलरों को कई तरीके से प्रभावित करती हैं। अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक प्रमुख ज्वैलर ने कहा देश भर के स्टोरों में सोने के आभूषणों का स्टॉक करीब 300 से 400 टन है और उनकी स्टॉक लागत बढ़ रही है। करीब एक दशक पहले यह आंकड़ा 100 टन का था और खुदरा श्रृंखलाओं द्वारा स्टोरों के विस्तार किए जाने से स्टॉक में इजाफा हुआ है। अब 22 कैरेट के आभूषण की मांग की जगह 18 कैरेट के आभषूण ने ले ली है।