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आपकी पसंदीदा साबुन बनाने वाली इस कंपनी ने कीमत बढ़ाने का किया ऐलान, इस वजह से लिया फैसला

हालांकि, कंपनी ने कहा कि वह अचानक कीमत नहीं बढ़ाएगी। कीमतों में बढ़ोतरी धीरे-धीरे किया जाएगा।

Last Updated- March 10, 2025 | 6:38 PM IST
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दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने साबुन की कीमतों को धीरे-धीरे बढ़ाने का फैसला लिया है। कंपनी ने पॉम ऑयल की बढ़ती कीमतों से बचने और अपने मुनाफे को ठीक करने के लिए यह फैसला लिया है। यह जानकारी कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दी।

गौरतलब है कि पॉम ऑयल की कीमतें हाल के महीनों में काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसका मुख्य कारण इंडोनेशिया और मलेशिया में आई बाढ़ को बताया जा रहा है, जो इसके सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं। इसके चलते डव साबुन बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर और सिंथोल बनाने वाली गोदरेज कंज्यूमर जैसी कंज्यूमर गुड्स कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं।

गोदरेज कंज्यूमर के सीईओ सुधीर सितापति ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “हमने अभी तक लागत का पूरा हिस्सा वसूल नहीं किया है।” उन्होंने कहा कि मुनाफे को बढ़ाने में अभी भी 2 से 3 तिमाही लगेंगे, लेकिन कंपनी कीमतों को अचानक नहीं बढ़ाएगी। यह बढ़ोतरी धीरे-धीरे की जाएगी। सितापति को उम्मीद नहीं है कि कीमतों में बढ़ोतरी से बिक्री पर भी असर पड़ेगा क्योंकि पॉम ऑयल से बने अधिक उत्पाद “गैर-जरूरी” सामान नहीं हैं जिन्हें उपभोक्ता छोड़ सकें। साबुन गोदरेज कंज्यूमर की आय का लगभग पांचवां हिस्सा बनाते हैं।

हिंदुस्तान यूनिलीवर पर कम असर

खासकर शहरों में रहने वाले मध्यम वर्ग के भारतीय ऊंची महंगाई और धीमी आर्थिक बढ़ोतरी के चलते बिस्किट से लेकर फास्ट फूड तक हर चीज पर खर्च कम कर रहे हैं। गोदरेज का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी हिंदुस्तान यूनिलीवर पर पॉम ऑयल की कीमतों का असर कम पड़ा है, क्योंकि कंपनी ने अपने साबुन में पॉम ऑयल का इस्तेमाल कम करने के लिए फॉर्मूला बदला है।

हालांकि, गोदरेज कंज्यूमर के CEO ने साबुन में पॉम ऑयल का इस्तेमाल कम करने के लिए फॉर्मूला बदलने की संभावना से इनकार कर दिया। कंपनी का ग्रॉस मार्जिन अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में पिछले साल की तुलना में 175 बेसिस पॉइंट्स कम हो गया। यह दो साल में पहली बार हुआ है, क्योंकि पॉम ऑयल की कीमतें तेजी से बढ़ीं।

बता दें कि कीमत अधिक होने के कारण मांग में आयी गिरावट के चलते भारत में पॉम ऑयल का आयात लगभग 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पॉम ऑयल की बढ़ती कीमतों का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ रहा है। जनवरी में पॉम ऑयल का आयात दिसंबर महीने की तुलना में 46 फीसदी गिरकर 272,000 मीट्रिक टन रह गया था, जो मार्च 2011 के बाद सबसे कम है। भारत ने अक्टूबर 2024 में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष में हर महीने औसतन 750,000 टन से अधिक पॉम ऑयल का आयात किया गया है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पॉम ऑयल खरीदता है।

First Published - March 10, 2025 | 5:51 PM IST

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