वैश्विक परामर्श कंपनी केपीएमजी, अर्नस्ट ऐंड यंग (ईऐंडवाई) और ग्रांट थॉर्नटन उन बड़ी नामी कंपनियों में से हैं जिन्होंने अगले कुछ वर्षों में 10,000 नई किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) बनाने की केंद्र की महत्त्वाकांक्षी योजना में मार्गदर्शक और दिशानिर्देश का काम करने के प्रति रुचि दिखाई है। वे कार्यक्रम के परियोजना प्रबंधक के तौर पर सेवा देना चाहती हैं।
अधिकारियों ने कहा कि कंपनियों ने एफपीओ कार्यक्रम के लिए नैशनल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी (एनपीएमए) बनाने के लिए अपनी बोली जमा कराई है। इस प्रकार वे किसान उत्पाद संगठन (एफपीओ) के क्षेत्र में उतर रही हैं।
एनपीएमए परियोजना को लेकर समग्र दिशानिर्देश देगी, एकीकृत पोर्टल और सूचना प्रबंधन के जरिये आंकड़ों का रखरखाव करेगी और 10,000 से अधिक एफपीओ की निगरानी करेगी।
इसके अलावा, एजेंसी नई एफपीओं के निर्माण के लिए सहायक और व्यापक पारितंत्र भी मुहैया कराएगी। एजेंसी एफपीओ के प्रबंधन के सभी पहलुओं में उन्हें पाच साल तक हर प्रकार से सहयोग देगी। इसके तहत इनपुट, उत्पादन, प्रक्रिया, मूल्य वद्र्घन, बाजार से जोडऩा, ऋण और बैंक से जोडऩा, तकनीक का उपयोग आदि शामिल है।
एनपीएमए की नियुक्ति लघु कृषक कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) करेगी। सरकार ने नाबार्ड और राष्टï्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के साथ ही एसएफएसी को भी एफपीओ बनाने के लिए चिह्निïत किया गया है।
वरिष्ठï अधिकारी ने स्पष्टï किया, ‘एनपीएमए परियोजना प्रबंधन प्राधिकरण या एक परियोजना प्रबंधन इकाई के तौर पर काम करेगी और इसको दिया गया कार्य पूरा होते ही इसकी भूमिका समाप्त हो जाएगी।’
सरकार की ओर से 10,000 एफपीओ के निर्माण के लिए जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक एफपीओ में कम से कम 300 सदस्य होंगे।
फिलहाल देश में मोटे तौर पर 6,000 एफपीओ/एफपीसी हैं जिनमें से करीब 4,000 पिछले कुछ वर्षों में अस्तित्व में आए हैं।
सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई अभी भी लामबंदी, इक्विटी संग्रह, कारोबार नियोजन आदि के चरण में ही हैं। अगले पांच वर्ष में 10,000 नई एफपीओ बनाने के लिए सरकार ने 6,868 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
