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‘जिंस कारोबार की आग में वायदा है ईंधन’

Last Updated- December 05, 2022 | 4:50 PM IST

जिंस बाजार में खास करके खाद्य वस्तुओं की कीमत में तेजी के लिए वायदा कारोबार को प्रमुख कारण माना जा रहा है।


 दिल्ली के थोक व्यापारियों का मानना है कि वायदा कारोबार से किसान, छोटे व्यापारी व उपभोक्ता तीनों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।


उनका कहना है कि वायदा कारोबार के कारण कुछ किस्म की दाल, तिलहन व मसालों की कीमत में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी  दर्ज की गई है।इन व्यापारियों ने दलहन, तिलहन, किराना व मसाले के वायदा व्यापार पर सरकार से पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है। दूसरी ओर कमोडिटी एक्सचेंज के पदाधिकारियों का कहना है कि कीमत हमेशा ही मांग व पूर्ति से प्रभावित होती है। वायदा कारोबार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।


नेशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनसीडीइएक्स) के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के पदाधिकारी कहते हैं, ‘देश में गेहूं का कुल उत्पादन पिछले पांच-छह सालों से 720 से 740 लाख टन के बीच हो रहा है। जबकि देश में इसकी खपत 4 फीसदी तक बढ़ गई है।


ऐसे में मूल्य बढ़ना लाजिमी है। वर्ष 2006 में गेहूं के दाम में बढ़ोतरी हुई तो कहा गया कि वायदा कारोबार के कारण ऐसा हुआ। उसके बाद गेहूं का वायदा कारोबार बंद कर दिया गया। फिर भी में कीमत में मांग के मुकाबले पूर्ति में कमी के कारण लगातार बढ़ोतरी हो रही है।’


उनके मुताबिक वायदा कारोबार करने वाली कोई भी कंपनी किसी भी वस्तु को बहुत दिनों तक स्टोर कर करके नहीं रख सकती। क्योंकि स्टोर करने में लागत आती है और वस्तु की खरीदारी में लगाई गई पूंजी से कई तरह के जोखिम जुड़े होते हैं। लिहाजा यह कहना कि वायदा कारोबारे से जुड़ी खाद्य वस्तुओं का भंडारण करके कीमत बढ़ा दी जाती है तो यह बिल्कुल गलत  है।  


दूसरी ओर किराना बाजार की सबसे बड़ी कमेटी दिल्ली किराना कमेटी के अध्यक्ष प्रेम कुमार अरोड़ा कहते हैं, ‘वायदा कारोबार ने सबसे अधिक मसाले के बाजार को प्रभावित किया है। विशेष रूप से हल्दी, लाल मिर्च व काली मिर्च के बाजार में 20 से 25 फीसदी तक की तेजी आ गई है।

First Published - March 21, 2008 | 12:45 AM IST

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