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एक साल में पहली बार घटे ईंधन के दाम

Last Updated- December 12, 2022 | 6:40 AM IST

सरकारी तेल कंपनियों (ओएमसी) ने आज तेल कीमतों में कटौती की। पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों से कुछ हफ्ते पहले साल भर में पहली बार ईंधन की कीमत को कम किया गया है। इससे पहले 16 मार्च 2020 को कीमतों में कमी की गई थी।
तेल कंपनियों ने पेट्रोल के भाव में 18 पैसे और डीजल के भाव में 17 पैसे की कमी की है। यह कमी कच्चे तेल की कीमत में आई कमी के कारण की गई है। कच्चे तेल की कीमत जो 11 मार्च को 70 डॉलर प्रति बैरल थी वह 23 मार्च को घटकर 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थी।
कच्चे तेल की कीमत में कमी की वजह यूरोप में लॉकडाउन की वापसी को बताया जा रहा है जिससे मांग में सुधार आने में देर हो सकती है।
राष्ट्रीय राजधानी में करीब एक महीने यानी 23 फरवरी से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें स्थायी बनी हुई थी।
पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र के इशारे पर तेल कंपनियां कीमतों में इजाफा नहीं कर रही थीं।
1 मार्च से दिल्ली में पेट्रोल 91.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल 81.47 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर बनी हुई है जबकि इन जिंसों की बेंचर्माक अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफा हो रहा था। इस दौरान ब्रेंट क्रूड ऑयल 62 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 70 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी।
 हालांकि कीमतों में की गई कटौती लंबे समय तक बरकरार नहीं रह पाएगी। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक ब्रेंट आज 62.55 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। ब्रेंट की कीमतों में वृद्घि स्वेज नहर के जाम होने के कारण हुई है। एक बड़ा कंटेनर जहाज नियंत्रण खो बैठा जिससे इस महत्त्वपूर्ण नहर का रास्ता जाम हो गया है।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि ताइवान के स्वामित्व वाला 400 मीटर लंबे और 59 मीटर चौड़े एमवी एवर गीवन मालवाहक जहाज यहां कई दिनों तक फंसा रह सकता है।
इसके कारण दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो रहा है। उत्तरी अमेरिका के लिए बेंचमार्क कीमत वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 2.60 फीसदी महंगा होकर 59.26 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। अनुमानित तौर पर वैश्विक व्यापार का 10 फीसदी स्वेज नजर से होता है। बताया जा रहा है कि मिस्र के अधिकारियों ने नहर के एक पुराने हिस्से को खोल दिया है ताकि इस महत्त्वपूर्ण जल मार्ग के दोनों तरफ जहाजों के जाम को कम किया जा सके।

‘8-10 साल जीएसटी में नहीं आ सकता ईंधन’
राज्यसभा में बुधवार को भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले आठ से दस साल तक पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना संभव नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सुशील मोदी ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से पांच लाख करोड़ रुपये मिलते हैं।
उनका यह बयान काफी अहम है क्योंकि कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थी। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर काबू के लिए उन्हें जीएसटी के दायरे में लाने की मांग होती रही है। भाजपा नेता ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इससे राज्यों को करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी। उन्होंने कहा कि अभी जीएसटी में कर की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अभी की स्थिति में 100 रुपये में 60 रुपये कर के होते हैं। उन्होंने कहा कि इस 60 रुपये में केंद्र को 35 व राज्यों को 25 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा केंद्र के 35 रुपये का 42 प्रतिशत भी राज्य को ही मिलता है। भाषा

First Published - March 24, 2021 | 11:37 PM IST

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