भारत में ईंधन की मांग वित्त वर्ष 2021-22 में बढऩे की उम्मीद है, जो कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुई थी। हालांकि पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनॉलिसिस सेल (पीपीएसी) के ताजा अनुमान में शुरुआती अनुमान की तुलना में खपत में कमी आने का अनुमान लगाया गया है। ताजा अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मांग 2020-21 की तुलना में 9.85 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है।
डीजल की मांग 2020-21 के 738.6 लाख टन से 13.30 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 836.8 लाख टन रहने की संभावना है। आगामी वित्त वर्ष के दौरान तेज आर्थिक सुधार को देखते हुए यह उम्मीद जताई गई है, जिसकी वजह से ज्यादा भारी और वाणिज्यिक वाहन जैसे ट्रक सड़कों पर दौड़ेंगे। पेट्रोल की खपत में भी इसी तरह की वृद्धि के अनुमान हैं। पेट्रोल की खपत 2020-21 के 276.7 लाख टन से 13.32 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 313.5 लाख टन पहुंचने का अनुमान है। यह व्यक्तिगत आवाजाही (दोपहिया और चारपहिया वाहन) बढऩे से पता चलता है, जो कोविड-19 के कारण की गई देशबंदी में पूरी तरह बंद हो गई थी।
रसोई गैस (एलपीजी) की खपत में 4.79 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की संभावना है, जो 2020-21 के 277.1 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 290.3 लाख टन होने की संभावना है।
लेकिन पीपीएसी के मांग के अनुमान के हाल के आंकड़े शुरुआती अनुमान की तुलना में कम है, जो 2021-22 के लिए लगाया गया था। पीपीएसी ने पहले अनुमान लगाया था कि डीजल की खपत 2021-22 में 1107.9 लाख टन पहुंच जाएगी, जबकि ताजा अनुमान में 32.40 प्रतिशत कम खपत का अनुमान लगाया गया है। इसी तरह से पेट्रोल की खपत नए अनुमान में 7.33 प्रतिशत कम है।