इस बार होली पर रसोई में पकवान तलना महंगा पड़ रहा है क्योंकि खाद्य तेल काफी महंगे बिक रहे हैं। पिछले साल की तुलना में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम 80 फीसदी तक ज्यादा हैं। इनके दाम बढऩे की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी तेजी है। अंतरराष्ट्रीय तेजी के कारण घरेलू बाजार में सरसों की नई आवक का दबाव भी घरेलू खाद्य तेलों की कीमतों पर नहीं बन पा रहा है। आयातक ऊंचे भाव पर खाद्य तेलों का बड़े पैमाने पर आयात करने से परहेज कर रहे हैं, इसलिए फरवरी में खाद्य तेलों का आयात 27 फीसदी घटकर 7.96 लाख टन रह गया। चालू तेल वर्ष की नवंबर-फरवरी अवधि में आयात में 3.7 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
पिछले एक साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में आरबीडी पामोलीन का भाव 590 डॉलर से बढ़कर 1,100 डॉलर, क्रूड पाम तेल का भाव 580 डॉलर से बढ़कर 1120 डॉलर प्रति टन हो चुका है। घरेलू बाजार में आयातित आरबीडी पामोलीन 70 फीसदी बढ़कर 120-125 रुपये और क्रूड पाम तेल 80 फीसदी बढ़कर 115 रुपये से 117 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। आयातित खाद्य तेलों में तेजी का असर घरेलू खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ा है। बीते एक साल में घरेलू खाद्य तेलों में सरसों तेल के दाम 85-90 रुपये से बढ़कर 120-125 रुपये, रिफाइंड सोया तेल 80-85 रुपये से बढ़कर 125-130 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इस दौरान मूंगफली तेल के दाम करीब 30 फीसदी बढ़कर 155-160 रुपये और सूर्यमुखी तेल के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 185-190 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं।
सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कूइट) के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल कहते हैं कि भारत खाद्य तेलों के मामले में आयात पर निर्भर है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम दोगुने तक महंगे होने का असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मुख्य पाम उत्पादक देश मलेशिया व इंडोनेशिया में फसल कमजोर होने के साथ सट्टेबाजी है।
ऐंजल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (जिंस व अनुसंधान) अनुज गुप्ता ने बताया कि पाम की फसल कमजोर होने के साथ ही अमेरिका में सोयाबीन की बुआई प्रतिकूल मौसम के कारण ढंग से नहीं हो पा रही है। इस कारण भी खाद्य तेलों में तेजी को बल मिल रहा है। खाद्य तेलों में तेजी की धारणा की वजह से सरसों की पैदावार ज्यादा होने के बावजूद सरसों तेल सस्ता नहीं हो पा रहा है। कारोबारियों के मुताबिक आगे भी खाद्य तेलों की कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना नजर नहीं आ रही है। हालांकि उंचे स्तर पर थोड़ा बहुत दाम कम हो सकते हैं।
पाम स्टीयरिन आयात पर बढ़ाएं शुल्क
खाद्य तेल उद्योग संगठन एसईए ने घरेलू पाम रिफाइनिंग और ओलियोकेमिकल उद्योग को बचाने के लिए सरकार से कच्चा पाम तेल (सीपीओ) के अनुरूप पाम स्टीयरिन पर 35.75 फीसदी का आयात शुल्क लगाने का अनुरोध किया। पाम स्टीयरिन कच्चा पाम तेल का एक उप उत्पाद होता है जिसका इस्तेमाल खाद्य उद्योग में वनस्पति और मार्जरीन आहार वसा जैसे बेकरी वसा के उत्पादन के लिए होता है। इसका उपयोग कॉस्मेटिक और व्यक्तिगत देखभाल उद्योग में भी होता है।
मुंबई स्थित सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक वक्तव्य में कहा कि पाम स्टीयरिन और कच्चा पाम तेल के अन्य उप उत्पादों का आयात शून्य शुल्क पर किया जाता है लेकिन घरेलू कंपनियां उसी उत्पाद का विनिर्माण आयातित कच्चा पाम तेल से कर रही हैं। घरेलू कंपिनयों को कच्चा पाम तेल का आयात 35.75 फीसदी सीमा शुल्क के साथ साथ कृषि उपकर का भुगतान कर करना पड़ता है। एजेंसियां