facebookmetapixel
Buying Gold on Diwali 2025: घर में सोने की सीमा क्या है? धनतेरस शॉपिंग से पहले यह नियम जानना जरूरी!भारत-अमेरिका रिश्तों में नई गर्मजोशी, जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत गोर से नई दिल्ली में की मुलाकातStock Split: अगले हफ्ते शेयरधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी, कुल सात कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिटBonus Stocks: अगले हफ्ते कॉनकॉर्ड और वेलक्योर निवेशकों को देंगे बोनस शेयर, जानें एक्स-डेट व रिकॉर्ड डेटIndiGo बढ़ा रहा अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी, दिल्ली से गुआंगजौ और हनोई के लिए शुरू होंगी डायरेक्ट फ्लाइट्सDividend Stocks: अगले हफ्ते TCS, एलेकॉन और आनंद राठी शेयरधारकों को देंगे डिविडेंड, जानें रिकॉर्ड-डेटदिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे जलाने की मंजूरी दीSEBI की नई पहल: गूगल प्ले स्टोर पर ब्रोकिंग ऐप्स को मिलेगा वेरिफिकेशन टिक, फर्जी ऐप्स पर लगेगी लगामSBI ग्राहकों ध्यान दें! आज 1 घंटे के लिए बंद रहेंगी ऑनलाइन सेवाएं, जानें क्या काम करेगाED ने Reliance Power के CFO को ₹68 करोड़ फर्जी बैंक गारंटी केस में गिरफ्तार किया

समुद्री उत्पादों का निर्यात भी नहीं बच सका मंदी की मार से

Last Updated- December 08, 2022 | 4:41 AM IST

दुनिया भर में पसरी आर्थिक मंदी लगता है देश के ‘सी फूड’ उद्योग पर बहुत बुरा असर डालने वाली है।


हाल ही में ज्यादातर सी फूड उत्पादों के निर्यात भाव गिरने से यह अटकलें लगाई जा रही हैं। गौरतलब है कि भारतीय सी फूड निर्यात उद्योग में झींगे सहित कुछ अन्य उत्पादों का महत्वपूर्ण योगदान है और इनकी कीमतों में फिलहाल खासी कमी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र की सहयोगी संस्था खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। एफएओ के मुताबिक, झींगे की कीमत जो मंदी के पहले ही कम हो गई थी अब मंदी के आने के बाद और कम होने जा रही है।

फिलहाल विदेशों में इसकी मांग काफी कम हो गई हैं। अमेरिकी और जापानी बाजारों में इसकी मांग काफी कम है। उधर हाल के वर्षों में झींगे के निर्यात के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे यूरोपीय संघ के देशों में भी इसकी मांग में नरमी दिख रही है।

ताजा संकेतों से तो पता चलता है कियूरोपीय बाजार भी सी फूड आयात करने के मामले में मंदी से प्रभावित है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में झींगे के आयात में 10 फीसदी की कमी हुई और यह महज 3.376 लाख टन रह गया है।

स्पेन और इटली के आयात में तो सबसे ज्यादा कमी हुई है। फ्रांस ही एकमात्र ऐसा देश है जिसक आयात में बढ़ोतरी हुई है। स्क्विड की कीमतों में भी कमी हुई है। जापान जैसे मुख्य खरीदार की आयात रुचि घटने से ऐसी नौबत आई है।

एफएओ के मुताबिक, हाल के महीनों में अजर्टीना की ओर से स्क्विड की कीमतों में खासी कमी करने से वैश्विक बाजार में इसकी कीमतों में जबरदस्त कमी हुई है। यूरोपीय सी ब्रीम और टर्बोट जैसे समुद्री जीव जिनकी खेती होती है, के उत्पादन में खासी वृद्धि होने से इनकी कीमतों में रिकॉर्ड कमी हुई है।

रिपोर्टों में भी कहा गया कि जंगली सफेद मछली समेत टूना, सैलमन और टिलैपिया किस्म की कीमतें लगभग पहले जितना ही हैं। वहीं  कैट फिश की कीमतों में कमी हुई है। जानकारों के मुताबिक, जनवरी तक इन उत्पादों की कीमतों में कमी का रुख रहेगा। इस समय दक्षिण पश्चिमी अटलांटिक क्षेत्र में मछली उत्पादन के नए सीजन की शुरुआत होगी।

मौजूदा संकट ने तो पहले ही भारत की निर्यात संभावनाएं प्रभावित कर डाली हैं। कई अन्य कारणों से भी सौदों का रद्द होना तेजी से जारी है। भारत में इन उत्पादों का निर्यात सीजन अभी पीक पर चल रहा है लेकिन अभी तक निर्यात अनुबंधों में तेजी नहीं आई है।

मांग और कीमतों में कमी से मौजूदा वित्त वर्ष में इन उत्पादों का निर्यात काफी प्रभावित होने की उम्मीद है। पैक किए हुए झींगे और स्क्विड, जो समुद्री जीवों के कुल निर्यात में 52 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं, की कीमतों में जबरदस्त कमी से इन जीवों के निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ा है।

वियतनाम, चीन और ताइवान जैसे देशों से कम गुणवत्ता वाले झींगों के निर्यात से भी भारतीय निर्यातकों के सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। मालूम हो कि भारत से सबसे ज्यादा यूरोपीय संघ के देशों जहां कुल निर्यात के 34 फीसदी का आयात होता है जबकि जापान में 22 फीसदी उत्पाद आयात किए जाते हैं। अमेरिका 10 फीसदी समुद्री उत्पादों का आयात करता है।

First Published - November 20, 2008 | 10:52 PM IST

संबंधित पोस्ट