देश के विद्युत नियामक, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग, सीईआरसी ने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के न्यायक्षेत्र से संबंधित बिजली वायदा की सुनवाई फरवरी तक के लिए टाल दी है।
हालांकि सीईआरसी ने इस मामले में स्थगनादेश नहीं जारी किया है, इसलिए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में विद्युत का वायदा कारोबार जारी रहेगा। पहले इस मामले की सुनवाई मंगलवार को सीईआरसी में हुई।
विद्युत नियामक के चेयरमैन प्रमोद देव ने याचिकाकर्ता, पावर एक्सचेंज इंडिया (पीएक्सआई) द्वारा दिए गए तर्कों को गंभीरता से सुना। पीएक्सआई का संचालन नेशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सेंज (एनसीडीईएक्स) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज आफ इंडिया (एनएसई) करती है।
इस एक्सचेंज में कारोबार करने में एक दर्जन से ज्यादा अन्य लोगों की इक्विटी हिस्सेदारी है। पीएक्सआई ने सीईआरसी के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें यह कहा गया था कि विद्युत, जिंस के अंतर्गत नहीं आता है इसलिए इसका वायदा कारोबार एफएमसी के न्यायक्षेत्र में नहीं आता है। इस याचिका में एमसीएक्स को एक पक्ष बनाया गया था।
देव ने कहा, ‘इस याचिका को दायर करने वाले पीएक्सआई ने इस मामले में और समय दिए जाने की मांग की थी, जिससे इस मामले में पूरा जवाब दायर किया जा सके। हमने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। अब पीएक्सआई के वकील पर निर्भर करता है कि अगली तिथि कब दी जाए।’
इस दावे के आधार के बारे में पूछे जाने पर देव ने कहा कि दोनो पक्षों ने अपना अपना तर्क रखा है और हमारा अंतिम फैसला पूरी सुनवाई के बाद ही आएगा।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुनवाई की अगली तिथि की बहस के बाद ही यह फैसला किया जाएगा कि यह मामला आगे जारी रखने योग्य है या नहीं।
देव ने इस बात की पुष्टि की कि एमसीएक्स ने पहले ही अपना पक्ष रख दिया है, जिसमें कहा गया है कि 9 जनवरी को लांच किया गया विद्युत वायदा एफएमसी की अनुमति के बाद ही हुआ है।
बहरहाल एफएमसी के चेयरमैन बीसी खटुआ ने दावा किया है विद्युत वायदा फारवर्ड कांट्रैक्ट (रेग्युलेशन) एक्ट 1952 के क्षेत्र में आता है, जब तक वायदा के तहत डिलिवरी नहीं दे दी जाती। जब विद्युत की डिलिवरी दे दी जाती है तो यह सीईआरसी के कार्यक्षेत्र में आ जाता है।
खटुआ ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान कांट्रैक्ट ‘डेरिवेटिव्स आफ इलेक्ट्रिसिटी’ हैं न कि ‘इलेक्ट्रिसिटी’, जो कि वित्तीय डेरिवेटिव्स हैं, न कि वास्तव में जिंस का कांट्रैक्ट। दोनों में घालमेल नहीं किया जाना चाहिए, जैसा कि इस मामले में किया गया है।
विद्युत की डिलिवरी देना वैकल्पिक है, जो आपसी समझबूझ के बाद तय किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि यह आवश्यक डिलिवरी कांट्रैक्ट नहीं है। यह कांट्रैक्ट एमसीएक्स में कारोबार के लिए पूरे सप्ताह मौजूद रहेगा।
इसकी ट्रेडिंग यूनिट का आकार 1 मेगावाट 3 24 घंटे होगा, जिसकी दर 1 रुपये प्रति मेगावाट होगी। इसकी डिलिवरी खरीदार और विक्रेता दोनो के लिए वैकल्पिक होगी।
इसके अलावा निर्धारित तिथि दर यानी डयू डेट रेट (डीडीआर), रोजाना की दर की औसत के आधार पर निकाली जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के साप्ताहिक मासिक सौदों के दौरान डिलिवरी की दरें क्या रही हैं।