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मार्च में तेज रही बिजली की मांग

Last Updated- December 12, 2022 | 6:21 AM IST

कोविड की सुस्ती से उबरने के बावजूद भारत ने बिजली की ऋणात्मक मांग के साथ नए वित्त वर्ष में कदम रखा है। वित्त वर्ष 21 में बिजली की सालाना मांग वित्त वर्ष 20 की तुलना में 1.31 प्रतिशत कम रही है। इससे संकेत मिलता है कि तेज वृद्धि अभी भी दूर है क्योंकि बिजली की मांग अभी भी 2019 के मध्य के स्तर पर है।
लॉकडाउन के महीनों की तुलना में खासकर ताप बिजली की मासिक मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2021 में बिजली की अधिकतम मांग 170.6 गीगावॉट रही है, जो मार्च 2020 के 157 गीगावॉट और मार्च 2019 के 163 गीगावॉट की तुलना में ज्यादा है। बहरहाल यह मांग अप्रैल-सितंबर 2019 में मांग के बराबर है। रोजाना और मासिक मांग के आंकड़े नैशनल लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट से लिए गए हैं।
बिजली क्षेत्र पर अपनी हाल की प्रतिक्रिया में इक्रा रिसर्च ने कहा है, ‘सितंबर 2020 से ही देश में बिजली की मांग में पिछले साल की तुलना में धनात्मक वृद्धि दिख रही है, जब लॉकडाउन के प्रतिबंध कम होने शुरू हुए थे और इसे बेस इफेक्ट का समर्थन मिल रहा था, क्योंकि इसके पहले केसाल में भारी बारिश हुई थी, जिसके कारण घरों व कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग कम थी।’
बिजली की अधिकतम मांग प्रति व्यक्ति खपत को दिखाती है, जिसमें सपाट वृद्धि है। डीएएम कैपिटल ने अपने नोट में कहा है कि अधिकतम बिजली मांग पिछले साल से  3.8 प्रतिशत बढ़ी है और मार्च महीने में मांग पिछले साल की मांग की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा है।
डीएएम कैपिटल ने कहा, ‘बिजली की स्थिर मांग इस क्षेत्र के लिए बेहतर है। उत्पादकों को दीर्घावधि समझौते के मुताबिक भुगतान मिलेगा, ऐसे में स्थिर मांग ने बिजली वितरण कंपनियों का बोझ कम किया है। हम उम्मीद करते हैं कि डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति में सुधार होगी।’
मांग बहाल होने का लाभ ताप बिजली के लिए फायदेमंद है। अखिल भारतीय प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) या ताप बिजली इकाइयों का परिचालन अनुपात फरवरी 2021 में 63.27 प्रतिशत रहा है, जो फरवरी 2020 मेंं 60.27 प्रतिशत था। भारत के सबसे बड़े ताप बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड ने बिजली उत्पादन में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है और वित्त वर्ष 21 में 314 अरब यूनिट बिजली उत्पादन किया है। कंपनी ने कहा कि इसका यह सर्वाधिक उत्पादन है।
अप्रैल, 2020 और जनवरी 2021 के बीच अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 6.6 प्रतिशत की बेहतरीन वृद्धि हुई है, हालांकि कुल बिजली आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी फरवरी 2021 के दौरान महज 17 प्रतिशत रही।
अप्रैल 2020 में देश में बिजली की मांग में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई, जब यह एक साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत कम थी। देशव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च 2020 को हुआ, जिसकी वजह से वाणिज्यिक केंद्र, विनिर्माण इकाइयां, कार्यालय या तो बंद रहे, या सीमित क्षमता के साथ चले। मांग में गिरावट अगस्त 2020 तक जारी रही।
औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता मुख्यत: बिजली के बड़े ग्राहक होते हैं, उसके बाद कृषि व आवासीय मांग आती है। दिसंबर महीने में मांग सबसे ज्यादा रही और यह 2019 की समान अवधि की तुलना में 9.88 प्रतिशत अधिक थी। विनिर्माण इकाइयां चालू होने और कुछ कार्यालय परिसर आंशिक या पूरी तरह खुल जाने से मांग बढ़ी है।

First Published - April 2, 2021 | 11:32 PM IST

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